बैंक अकाउंट आज के समय में सबसे जरूरी हो गया है. पेंशन से लेकर स्कॉलरशिप और लगभग हर जगह बैंक अकाउंट को इस्तेमाल में लाया जाता है. हर बैंक में सेविंग और करंट दो तरह के अकाउंट होते है. बैंक खाता खुलवाते समय अक्सर लोगों को ये कन्फ्यूज़न होता है कि कौन सा ऑप्शन चुना जाए. हालांकि दोनों का ही इस्तेमाल डिपॉजिट या ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है लेकिन इसमें कई अंतर देखें जा सकते है. आइए दोनों के बीच का अंतर जानते है.

सेविंग अकाउंट क्या है?

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सेविंग अकाउंट को बचत खाता भी कहा जाता है. ये अकाउंट आम लोगों के लिए होता है, जो खासतौर पर सेविंग्स करने का एक अच्छा ऑप्शन है. इस अकाउंट में आप थोड़ा-थोड़ा करके पैसे सेव कर सकते हैं. जमा पैसों पर आपको इंटरेस्ट भी मिलता है. अकाउंट पर 4 से 6 फीसदी तक इंटरेस्ट रेट मिलता है. सेविंग अकाउंट में आप जब चाहे अपने पैसों को बिना किसी चार्ज के निकाल सकते है. 

करंट अकाउंट क्या है?

करंट अकाउंट को आसान भाषा में चालू खाता भी कहा जाता है. ये खासतौर पर बिजनेसमैन (Businessman) के लिए होता है. जिसमें ज्यादा अमाउंट में ट्रांजेक्शन किया जाता है. ऐसे में ये करंट अकाउंट बड़ी से बड़ी ट्रांजेक्शन के लिए बेहतर ऑप्शन है. चालू खाते में कोई ब्याज नहीं मिलता है. 

दोनों के बीच में फर्क क्या है? 

मिनिमम बैलेंस

सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी होता है. मिनिमम बैलेंस न होने पर पेनल्‍टी देनी पड़ती है. लेकिन करंट अकाउंट में ऐसा नहीं होता है. इसमें आपको मौजूद बैलेंस से ज्यादा भी विड्रॉ करने की सुविधा मिलती है. इसे ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी कहते हैं.

ट्रांजैक्‍शन लिमिट 

सेविंग्‍स अकाउंट से महीने में किए जाने वाले ट्रांजैक्‍शन की एक लिमिट होती है, लेकिन करंट बैंक अकाउंट में ऐसी कोई लिमिट नहीं होती है. इसके अलावा सेविंग अकाउंट में मैक्सिमम अमाउंट रखने की भी लिमिट होती है, जबकि करंट अकाउंट में ऐसी कोई लिमिट नहीं है.

टैक्स के दायरे से बाहर

सेविंग्स अकाउंट में जमा पर ब्याज मिलता है, इसलिए यह टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन, करंट अकाउंट में जमा पर ब्याज नहीं मिलता इस कारण ये टैक्स के दायरे से बाहर होता है.

सेविंग्स बैंक अकाउंट सैलरी पाने वाले इंप्लॉई या फिर बचत को बैंक में जमा करने के लिए खुलवाया जाता है. वहीं करंट बैंक अकाउंट बिजनेस करने वालों के लिए होता है. इसे स्टार्टअप, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पब्लिक लिमिटेड कंपनी वगैरह भी खुलवा सकती हैं. 

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