इनकम टैक्स एक्ट (Income tax act, 1961) के तहत भारतीय टैक्सपेयर्स को कई तरह के टैक्स बेनेफिट (tax benefits) मिलते हैं. अलाउंस और इन्वेस्टमेंट पर तो टैक्स छूट मिलती ही है, आपके कुछ बड़े खर्चों को देखते हुए भी आपकी टैक्स लायबिलिटी कम हो जाए, इसके लिए इनकम टैक्स नियमों में प्रावधान किए गए हैं. इसमें ही आपका होम लोन (home loan tax benefits) और अंडर कन्स्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर टैक्स छूट जैसे बेनेफिट आते हैं. होम लोन और प्रॉपर्टी कन्स्ट्रक्शन से जुड़े कई सेक्शन हैं और कई शर्तें हैं. आइए जानते हैं.

Home Loan पर कितनी मिलती है टैक्स छूट? (Home Loan Tax Benefits)

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1. होम लोन के इंटरेस्ट पर टैक्स छूट (Section 24)

अगर आपने घर बनवाने के लिए लोन लिया है, तो आप लोन के ब्याज पर किए गए भुगतान पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. यह छूट अपने इस्तेमाल में ली जा रही प्रॉपर्टी के लिए भी ले सकते हैं, इसमें अधिकतम छूट ₹2 लाख सालाना की छूट ली जा सकती है. हालांकि, प्रॉपर्टी को किराये पर दिया है तो पूरे ब्याज पर आपको टैक्स छूट मिल जाती है.

2. प्रिंसिपल अमाउंट पर टैक्स छूट (Section 80C)

होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट के रीपेमेंट पर आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. यह छूट सालाना ₹1.5 लाख की कुल छूट की लिमिट में आती है.

3. रजिस्ट्रेशन फीस पर टैक्स छूट (Section 80C)

 संपत्ति को खरीदते समय दिया गया रजिस्ट्रेशन फीस भी 80C के तहत आयकर छूट दिलाता है.

4. पहली बार घर खरीदने वालों के लिए (Section 80EE)

पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को भी अतिरिक्त छूट मिल सकती है. सेक्शन 24b के तहत जो 2 लाख की छूट मिली है, उसके ऊपर से आप अपने होम लोन के ब्याज पर 50,000 की एक्स्ट्रा छूट ले सकते हैं.

5. जॉइंट-ओनर्स के लिए टैक्स छूट

अगर आप संपत्ति के जॉइंट ओनर हैं या फिर किसी के साथ जॉइंट बॉरोअर बनकर जॉइंट होम लोन लिया है तो दोनों ही मालिक अलग-अलग भागीदारी के लिए टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं.

घर बनवाने पर क्या हैं टैक्स छूट की शर्तें (Tax benefit for under construction property)

अगर आप अंडर कन्स्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के लिए टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहते हैं तो आप एक साल में जितना ब्याज भरा गया है, उसपर 2 लाख तक के ब्याज और सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख तक टैक्स छूट ले सकते हैं. ब्याज पर ये छूट घर का कन्स्ट्र्क्शन पूरा हो जाने पर लिया जा सकता है, इसके लिए कन्स्ट्रक्शन का 5 साल में पूरा होना जरूरी है. ये डिडक्शन 5 किस्तों में क्लेम की जा सकती है. अगर घर इन 5 सालों में नहीं बन पाता है तो भरे गए ब्याज पर आपको 30,000 रुपये की छूट ही मिल पाएगी.