GST Evasion: मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि महकमे को फर्जी कारोबारी प्रतिष्ठानों के देशभर में फैले नेटवर्क के जरिये 8,100 करोड़ रुपये से ज्यादा की माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी के सुराग मिले हैं. वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि राज्य माल एवं सेवा कर विभाग को इंदौर के एक प्रतिष्ठान के महीने भर के ई-वे बिलों की जांच के दौरान जीएसटी के इस बड़े फर्जीवाड़े का पहला सुराग मिला. 

देश के कई राज्यों में फैला है नेटवर्क

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उन्होंने बताया, ‘‘आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण और छानबीन पर देशभर में कुल 4,909 कारोबारी प्रतिष्ठान संदिग्ध पाए गए. इनमें दिल्ली के सर्वाधिक 1,888, उत्तर प्रदेश के 831, हरियाणा के 474, तमिलनाडु के 210, महाराष्ट्र के 201, तेलंगाना के 167 और मध्य प्रदेश के 139 प्रतिष्ठान शामिल हैं.’’ जाटव ने बताया कि जांच के घेरे में आए इन 4,909 प्रतिष्ठानों ने वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान जीएसटी के रिटर्न में करीब 29,000 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाया और जांच में इनके द्वारा 8,103 करोड़ रुपये की कर चोरी के सुराग मिले हैं..

उन्होंने बताया कि कर चोरी को बोगस कारोबार और फर्जी बिलों के जरिये जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का बेजा फायदा उठाकर अंजाम दिया गया. जाटव ने बताया कि मध्य प्रदेश का जीएसटी विभाग अन्य राज्यों के संबंधित अधिकारियों के साथ तालमेल के साथ टैक्स चोरी की विस्तृत जांच करेगा और संबंधित आरोपियों के खिलाफ भी दर्ज कराएगा.

GST पर फर्जीवाड़े के खिलाफ चल रहा है अभियान

बता दें कि जीएसटी पर फर्जीवाड़ा केंद्र और राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन का पता लगाने और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावे का गलत फायदा उठाने वाले धोखेबाजों की पहचान के लिए केंद्र और राज्यों के कर अधिकारियों ने दो महीने का एक विशेष अभियान शुरू किया है. ऐसे लोग माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के मंच पर फर्जी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उसके आधार पर धोखेबाज फर्जी रसीदों के सहारे आईटीसी के दावे करते हैं और किसी भी तरह की सेवा या उत्पाद की आपूर्ति के बगैर ही वह राशि अपने खाते में जमा करा लेते हैं.

दोषियों के खिलाफ लिया जाएगा एक्शन

केंद्र एवं राज्यों के सभी कर विभागों ने 16 मई से 15 जुलाई तक चलने वाला एक विशेष अभियान शुरू किया है. इस दौरान संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ ही फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) से बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. इनमें से फर्जी रजिस्ट्रेशन की पहचान के लिए जीएसटीएन पर विस्तृत आंकड़ा विश्लेषण और जोखिम मानकों का सहारा लिया जाएगा. फर्जी रजिस्ट्रेशन की जानकारी मिलने के बाद संदिग्ध जीएसटी पहचान नंबर के वेरिफिकेशन के लिए तय अवधि में कदम उठाया जाएगा. अगर आधार पर आधारित वेरिफिकेशन प्रोसेस के दौरान संबंधित टैक्सपेयर काल्पनिक पाया जाता है तो उस रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने के लिए फौरन कदम उठाए जाएंगे.

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