आप ने भविष्य की जरूरतों के हिसाब से वित्तीय प्लानिंग की है लेकिन क्या आपने इमरजेंसी फंड तैयार किया है. इमरजेंसी फंड आपकी किसी भी दूसरी जरूरत से ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसको जुटाने के लिए आपको समय नहीं मिलता है, और इसके बिना आपका रोजमर्रे का घर खर्च तुरंत रुक सकता है. इसके बिना आपके परिवार और आप पर आश्रित लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. ये फंड खासतौर से नौकरीपेशा लोगों के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि अचानक नौकरी चली जाने के चलते उनकी इनकम एकदम से शून्य हो जाती है.

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इमरजेंसी फंड का मकसद निवेश करके रिटर्न पाना नहीं होता है. इसका मकसद है अचानक पैसे की जरूरत होने या इनकम रुक जाने पर आपके पास खर्च चलाने का इंतजाम हो. इसलिए इमरजेंसी फंड लिक्विड होना चाहिए, यानी जिस वक्त जरूरत हो, उसी वक्त उसके पैसे आपके हाथ में हों. इसलिए इस पैसे को ऐसी किसी जगह न रखें, जहां से निकालने में दिक्कत हो. इस पर एक्जिट लोड या प्री-विड्रॉल पेनल्टी नहीं होनी चाहिए. दूसरी बात ये है कि निवेश पूरी तरह सुरक्षित होना चाहिए. यानी भले ही आपको रिटर्न कम मिले, लेकिन आपके मूलधन पर किसी तरह की आंच न आए. पैसे की सुरक्षा सबसे महत्वुपूर्ण पहलू है.

वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक आपकी मासिक आय के मुकाबले 3 गुने से लेकर 6 गुने तक इमरजेंसी फंड होना चाहिए. यानी यदि आपका मासिक खर्च 70000 रुपये है तो आपके पास इमरजेंसी फंड में 2.1 लाख रुपये से 3.5 लाख रुपये तक होने चाहिए. ताकि आय बंद होने की स्थिति में भी आप अपनी बुनियादी जरूरतों जैसे ईएमआई, दवाएं, बच्चों की पढ़ाई और राशन का खर्च, को पूरा कर सकें. आमतौर पर माना जाता है कि अचानक बेरोजगारी की स्थिति में व्यक्ति को अधिक से अधिक 6 महीने में दूसरी नौकरी मिल ही जाती है.

इमरजेंसी फंड बनाने के लिए धीमे-धीमे बचत करें. ये प्रक्रिया गुल्लक में पैसे डालने की तरह है. हम महीने एक निश्चित राशि इसके लिए अलग रखें. और हां, इसकी शुरुआत आज से ही कर दीजिए. इमरजेंसी फंड का आपकी आमदनी से कम और आपके खर्च से अधिक संबंध है. अगर आपका खर्च बढ़ रहा है, तो आपको अपना इमरजेंसी फंड भी बढ़ाना चाहिए. इमरजेंसी फंड को कभी भी गैर-जरूरी खर्चों जैसे घूमने-फिरने के लिए न निकालें.