नौकरी पेशा लोगों के लिए ईपीएफ की तरह ही ईएसआई स्कीम भी चलाई जाती है. ये स्‍कीम कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees State Insurance Corporation-ESIC) की तरफ से चलाई जाती है जिसमें कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधाओं समेत कई फायदे मिलते हैं. निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले वो कर्मचारी इस स्‍कीम का फायदा ले सकते हैं, जिनकी आय कम होती है. 

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इस स्‍कीम के लिए कर्मचारी का रजिस्‍ट्रेशन नियोक्‍ता की ओर से कराया जाता है. इसके लिए कर्मचारी को परिवार के सदस्यों की जानकारी देनी होती है. इसके बाद  कर्मचारी के लिए एक ESI कार्ड जारी होता है. ESI कार्ड के जरिए कर्मचारी ESI डिस्पेंसरी या हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज प्राप्‍त कर सकते हैं. 

कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों का कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन

ईपीएफ की तरह ईएसआई के मामले में भी कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों का कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन होता है. योगदान राशि में समय-समय पर बदलाव होता रहता है. वर्तमान समय में कर्मचारी की तरफ से सैलरी का 0.75 % और नियोक्ता की ओर से कर्मचारी की सैलरी के 3.25 % के बराबर योगदान देने का नियम है. जिन कर्मचारियों का प्रतिदिन औसत वेतन 176 रुपए है, उन्हें इसमें अपना योगदान देना नहीं होता.

कौन होते हैं पात्र

जिन कर्मचारियों की मासिक इनकम 21 हजार रुपए या इससे कम है, वे ईएसआई स्‍कीम का लाभ लेने के अधिकारी होते हैं. वहीं शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए न्यूनतम मजदूरी सीमा 25000 रुपए महीना है. नियम के अनुसार अगर कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन पीरियड शुरू होने के बाद कर्मचारी की इनकम 21 हजार रुपए की लिमिट को क्रॉस कर जाती है, तो भी वो कॉन्ट्रीब्यूशन पीरियड के खत्म होने तक ईएसआई के दायरे में आने वाला कर्मचारी रहेगा.

ये मिलते हैं फायदे

  • ईएसआई योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों को पहला फायदा मुफ्त इलाज का मिलता है. इस स्‍कीम के जरिए बीमित व्‍यक्ति के अलावा उस पर निर्भर पारिवारिक सदस्‍यों को भी फ्री में इलाज की सुवि‍धा दी जाती है. बीमाकृत व्यक्ति और उसके परिजनों के उपचार पर व्यय की कोई अधिकतम सीमा नहीं है. 
  • रिटायर्ड कर्मचारी और स्‍थायी रूप से अपंग बीमाकृत व्‍यक्ति और उसके जीवनसाथी को 120 रुपए के वार्षिक प्रीमियम पर चिकित्सा देखरेख प्रदान की जाती है.बीमित व्यक्ति को बीमारी के दौरान छुट्टी के लिए 91 दिनों के लिए नकद भुगतान किया जाता है. ये भुगतान मजदूरी के 70 फीसदी की दर से होता है.
  • ईएसआई के जरिए मैटरनिटी लीव का भी लाभ मिलता है. इसमें महिलाओं को डिलीवरी में 26 सप्ताह तक और गर्भपात की स्थिति में छह सप्ताह तक औसत वेतन का 100 फीसदी भुगतान किया जाता है. 
  • यदि किसी बीमित व्यक्ति की रोजगार के दौरान मृत्‍यु हो जाए तो उसकी अंत्येष्टि के लिए मूल व्यय या अधिकतम 10 हजार रुपए तक ईएसआईसी की तरफ से दिए जाते हैं. इसके अलावा आश्रितों को नियत अनुपात में मासिक पेंशन दी जाती है. पेंशन को 3 भागों में बांटा जाता है- पहला बीमित व्यक्ति की पत्नी, दूसरा बच्‍चों और तीसरा उसके माता-पिता की पेंशन.
  • ईएसआई बीमित व्यक्ति को टेंपरेरी डिसेबिलिटी की स्थिति में पूरी तरह स्‍वस्‍थ होने तक और परमानेंट डिसेबिलिटी की स्थिति में पूरे जीवन मासिक पेंशन दी जाती है. वहीं आश्रितों को पेंशन, बेरोजगारी भत्ता, रिटायरमेंट के बाद मुफ्त इलाज की सुविधा भी मिलती है.