6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी खबर है. EPFO लेबर मिनिस्‍ट्री के उस प्रस्‍ताव पर राजी हो गया है, जिसमें EPF खाताधारकों को NPS में निवेश का मौका दिए जाने की वकालत की गई थी. EPFO का कहना है कि यह तभी संभव है जब PFRDA एक्‍ट में जरूरी बदलाव किए जाएं. इसके बाद ही EPF खाताधारक EPFO को छोड़कर NPS में निवेश कर पाएंगे.

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क्‍या होगा फायदा

द हिन्‍दू की खबर के मुताबिक, सरकार प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को EPS या NPS में कोई एक विकल्‍प चुनने का अधिकार देना चाहती है. EPFO ने सरकार के इस प्रपोजल पर सहमति जताई है. हालांकि, अभी सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वहीं, कर्मचारी यूनियन भी इसके खिलाफ है.

कब होगा फैसला

सूत्रों के मुताबिक, EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अगले हफ्ते बैठक होनी है. बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. बोर्ड और बैठक की अध्‍यक्षता श्रम मंत्री करेंगे. इसमें राज्‍य और केंद्र सरकार के कर्मचारी भी शामिल होंगे. काफी पहले इस प्रस्ताव को रखा गया था.

क्‍या है EPS और NPS

NPS- नेशनल पेंशन सिस्‍टम है. यह वॉलेंट्री कॉन्ट्रिब्‍यूशन रिटायरमेंट स्‍कीम है. इस पर PFRDA का नियंत्रण है. वहीं, EPS-एम्प्लॉई पेंशन स्कीम है, जिसे EPFO कंट्रोल करता है.

EPS और NPS में फर्क

EPS में प्राइवेट सेक्‍टर के कर्मचारी को 58 साल की उम्र से डेथ तक पेंशन गारंटी मिलती है. वहीं, NPS में कर्मचारी पर निर्भर करता है कि वह पेंशन के लिए क्‍या योगदान दे. EPS में योगदान का पेमेंट मंथली होता है. जबकि, NPS का रिटर्न मार्केट के रिटर्न पर निर्भर करता है.

EPS टैक्‍स फ्री है

EPS का रिटर्न पूरी तरह टैक्‍स फ्री है. जबकि NPS का 60% कॉर्पस ही टैक्‍स फ्री है. वहीं, 40% रिटायरमेंट में इन्‍वेस्‍ट होता है.