इंप्लॉई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन अपने मेंबर्स को सोशल-फाइनेंशियल सिक्योरिटी देने के लिए Provident Fund (PF) या Employees' Provident Fund (EPF) अकाउंटहोल्डर्स को अश्योर्ड बेनेफिट्स देता है. इस अकाउंट पर इम्पलॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेस (EDLI) बेनेफिट्स मिलते हैं, जिसके तहत मेंबर के नॉमिनी को मेंबर की मृत्यु के बाद इंश्योरेंस का पैसा मिलता है. EPFO ने बताया है कि उसे ऐसी शिकायतें मिली हैं कि ऐसा देखने में आया है कि कुछ लोगों के इंश्योरेंस क्लेम खारिज किए जा रहे हैं और यह आधार दिया जा रहा है कि मृत्यु के कुछ दिनों पहले से कॉन्ट्रिब्यूशन जमा नहीं हो रहा था. जिसके चलते नॉन-कॉन्ट्रिब्यूटरी पीरियड ऑफ सर्विस डेज़ के लिए क्लेम नहीं किया जा सकता. इसे देखते हुए ऑर्गनाइजेशन ने 18 अक्टूबर, 2022 को एक सर्कुलर जारी करके इसपर अपना नियम साफ किया है.

क्या है नियम?

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EPFO ने अपने सर्कुलर में कहा है कि "EPF अकाउंटहोल्डर EDLI स्कीम के तहत अश्योर्ड बेनेफिट्स का हकदार तब भी होता है, जब वो लीव विदाउट पे पर हो और उसकी सैलरी से हर महीने ईपीएफ या पीएफ का पैसा न कट रहा हो. बस यह जरूरी है कि उसकी मृत्यु वाले दिन तक उसका कंपनी के रोस्टर रोल में नाम होना चाहिए, और अश्योर्ड बेनेफिट क्लेम करने के लिए कुछ और शर्तें पूरी करनी होंगी."

मृतक कर्मचारी के परिवार को परेशान न किए जाने का निर्देश देते हुए EPFO ने कहा कि "जरूरी वेरिफिकेशन इसके सात दिनों के भीतर करना होगा, परिवार के सदस्यों का शोषण नहीं कर सकते. ऐसे केस में जहां कंपनी कहती है कि कर्मचारी का नाम मस्टर रोल में नहीं था, और फैमिली इसका उलटा कहे तो इसके लिए यह कारण देना होगा कि एम्पलॉयर का वर्जन मंजूर किए जाने क्यों नहीं है."

कैसे तय होती है इंश्योरेंस क्लेम की राशि?

ऐसे कर्मचारी जो ऑर्गनाइज्ड  ग्रुप में काम करते हैं, उनकी सैलरी और डीए का 12 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ (इम्प्लाइ प्रोविडेंट फंड) में जाता है. जिसमें 12 फीसदी का कॉन्ट्रिब्यूशन कंपनी द्वारा किया जाता है.

कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके नॉमिनी को पिछले 12 महीने की औसत सैलरी की 30 गुना राशि 20% बोनस के साथ मिलती है. अगर 15,000 रुपए की बेसिक इनकम की सीलिंग की बात करें तो 30x15,000 = 4,50,000 रुपए मिलेगा इसके अलावा बोनस अमाउंट  ₹2,50,000  भी क्लेम किए जाने वाले नॉमिनी को मिलता है. यानी कि ये रकम कुल मिलाकर 7 लाख रुपए तक हो सकती है.