ऑर्गेनाइज्‍ड सेक्‍टर में काम करने वाले लोगों का हर बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 12 फीसदी अमाउंट कटकर पीएफ अकाउंट में जाता है. इतना ही अमाउंट एम्‍प्‍लॉयर की ओर से भी डाला जाता है. इस पर सरकार की ओर से अच्‍छा खासा ब्‍याज दिया जाता है. अगर आप ऊंची ब्याज दरों का फायदा लेने के लिए EPF में अपने इन्‍वेस्‍टमेंट को बढ़ाना चाहें तो आप सीधेतौर पर ऐसा नहीं कर सकते. 

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लेकिन वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund - VPF) के जरिए आप ईपीएफ में भी अपने योगदान को बढ़ा सकते हैं और अपने निवेश पर उसी ब्‍याज का फायदा उठा सकते हैं, जो आपको ईपीएफ पर मिलता है. मौजूदा समय में वीपीएफ पर 08.15 फीसदी के हिसाब से ब्‍याज दिया जा रहा है. जानिए VPF से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारी.

VPF में कितना पैसा कर सकते हैं जमा

कोई भी ईपीएफओ मेंबर को वीपीएफ में कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन की सुविधा का लाभ ले सकता है और प्रोविडेंट फंड में अपने कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन को बढ़ा सकता है.  VPF में सैलरी कटाने की कोई सीमा तय नहीं होती. कर्मचारी चाहे तो बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक योगदान भी कर सकता है. VPF में इन्वेस्टमेंट का तरीका भी बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे EPF में पैसा जमा करने का होता है मतलब अगर आप वीपीएफ में पैसा इन्‍वेस्‍ट करना शुरू कर देते हैं, तो इसका पैसा भी हर महीने उसी तरह अपने आप आपकी सैलरी से कटता रहेगा, जैसे ईपीएफ का कटता है.

कैसे शुरू करें निवेश 

अगर आप भी वीपीएफ में निवेश करने में रुचि रखते हैं तो आपको अपनी कंपनी के HR से मिलकर उसे ये बताना होगा कि आप पीएफ में अपने निवेश को बढ़ाना चाहते हैं.  HR की मदद से आप अपना वीपीएफ अकाउंट भी ईपीएफ के साथ-साथ खोल सकते हैं. आपको अपनी सैलरी का कितना योगदान बढ़ाना है, इसके बारे में आपको एक फॉर्म भरकर HR को देना होगा. इसके बाद EPF Account के साथ आपके VPF अकाउंट की प्र​क्रिया पूरी की जाएगी. इस प्रक्रिया पूरी होने के बाद आप वीपीएफ में अपनी Salary से पैसा कटवाना चालू कर सकते हैं. एक बार VPF का विकल्प चुनने के बाद, कम से कम 5 साल तक उसमें पैसा जमा करना अनिवार्य है.

रकम निकासी के क्‍या हैं नियम

वीपीएफ की रकम पर मिलने वाला ब्‍याज और फायदे सबकुछ ईपीएफ की तरह ही हैं, वैसे ही रकम निकासी के नियम भी EPF जैसे ही हैं. वीपीएफ फंड की पूरी रकम की निकासी आप रिटायरमेंट के बाद ही कर सकते हैं. 5 साल बाद जब इसका लॉक इन पीरियड खत्‍म होता है, तब आप इससे आंशिक धनराशि निकाल सकते हैं. इसके लिए ऑनलाइन क्‍लेम किया जा सकता है.

टैक्‍स छूट और अकाउंट ट्रांसफर

अगर आप अपनी नौकरी को बदलते हैं पीएफ अकाउंट को भी ईपीएफ की तरह से ट्रांसफर किया जा सकता है. वीपीएफ में निवेश करने पर इसके ब्याज और निकासी की रकम पर टैक्स नहीं देना पड़ता. इसलिए इसे Exempt-Exempt-Exempt (E-E-E) श्रेणी का निवेश माना जाता है. इसमें आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है. इस फंड में आप एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपए तक की टैक्स छूट के लिए दावा कर सकते हैं.