EPFO Rules के मुताबिक अगर आप किसी कंपनी में लगातार 10 साल तक नौकरी करते हैं, तो आप ईपीएफओ की पेंशन स्‍कीम EPS के तहत रिटायरमेंट की उम्र पर पेंशन पाने के हकदार हो जाते हैं. लेकिन मान लीजिए कि किसी व्‍यक्ति ने 4 सालों तक नौकरी की, लेकिन उसकी जॉब चली गई, नई नौकरी मिलने में 2 से 3 साल लग गए तो अब उसकी नौकरी के वर्षों की गिनती किस आधार पर होगी?

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क्‍या नौकरी की अवधि की कैलकुलेशन नई नौकरी के साथ नए सिरे से की जाएगी या उसके गैप पर ध्‍यान न देकर पिछली नौकरी की अवधि में नई नौकरी को जोड़कर जॉब के वर्षों को गिना जाएगा. ये एक ऐसा सवाल है जो तमाम कर्मचारियों के मन में होता है. आइए आपको बताते हैं इसको लेकर क्‍या है नियम, ताकि किसी भी तरह के संशय को खत्‍म किया जा सके.

जानें क्‍या होता है लंबे गैप के बाद

नौकरी में एक संस्‍थान छोड़ने के बाद अगर नई नौकरी मिलने में लंबा गैप आ जाए, तो परेशान होने की जरूरत नहीं. ऐसे में आप जब कभी भी दोबारा कहीं नौकरी शुरू करें, तो अपना यूएएन नंबर वही रखें जो पिछली कंपनी में था. इससे नौकरी बदलने पर आपकी नई कंपनी की ओर से भी उसी अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर किया जाएगा. साथ ही आपकी पहले वाली नौकरी की कुल अवधि (Service Period) आपकी नई नौकरी के साथ जुड़ जाएगी. ऐसे में आपको दोबारा नौकरी के 10 साल पूरे करने की जरूरत नहीं होगी.

उदाहरण से समझें

उदाहरण के लिए अगर आप किसी कंपनी में 5 साल तक नौकरी करते हैं. उसके बाद आपकी नौकरी छूट जाती है और करीब एक साल बाद आप दोबारा दूसरी नौकरी जॉइन करते हैं. दूसरी नौकरी में भी अगर आप अपना वही यूएएन नंबर एड कराते हैं, तो आपकी नौकरी के 5 साल बेकार नहीं जाते. बीच के एक साल को हटा दिया जाता है और नई जॉब की जॉइनिंग के समय से आगे की कैलकुलेशन शुरू हो जाती है. इस तरह दूसरी कंपनी में भी अगर आप दोबारा 5 साल पूरे करते हैं तो आपके 10 साल पूरे माने जाएंगे और वो व्‍यक्ति Regular Pension Scheme का लाभ लेने का हकदार माना जाएगा.

10 साल की नौकरी पूरी न होने पर

अगर आपकी नौकरी की अवधि 10 पूरी नहीं है और आगे नौकरी करने का इरादा भी नहीं है तो आप अपने Pension Account में जमा रकम की निकासी रिटायरमेंट की उम्र से पहले भी कर सकते हैं. इस स्थिति में पेंशन राशि की निकासी पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलता है, बल्कि एक फॉर्मूले के तहत पेंशन का लाभ तय किया जाता है.  ये फॉर्मूला आपकी नौकरी की कुल अवधि और अंतिम सैलरी पर निर्भर करता है.