स्‍टॉक मार्केट में सीधेतौर पर निवेश करने से अच्‍छा है कि म्‍यूचुअल फंड्स का ऑप्‍शन चुना जाए. इसमें आप हर महीने एक निश्चित रकम को एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश कर सकते हैं. पिछले कुछ समय में एसआईपी में निवेश करने वालों की संख्‍या तेजी से बढ़ी है. म्‍यूचुअल फंड्स का निवेश टैक्‍स के दायरे में आता है. लेकिन इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स (Equity Linked Saving Scheme-ELSS) ऐसी स्‍कीम है, जिसमें निवेश करने पर आप बेहतर रिटर्न भी ले सकते हैं और टैक्‍स बेनिफिट्स भी ले सकते हैं. इस कारण ELSS को टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम भी कहते हैं. यहां जानिए डबल बेनिफिट देने वाली इस स्‍कीम के बारे में-

तीन साल का लॉक इन पीरियड

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इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स में आप पैसा एकमुश्‍त भी जमा कर सकते हैं और SIP के जरिए भी कर सकते हैं. इसका लॉक इन पीरियड काफी कम समय का होता है. आमतौर पर एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी जैसी स्‍कीम्‍स में लॉक इन पीरियड पांच साल का है, जबकि ELSS में सिर्फ तीन साल का है. इसके बाद आप जब चाहे पैसा निकाल सकते हैं या अपने निवेश को जारी रख सकते हैं. 

500 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं निवेश

ELSS में आपको अपने बजट और सुविधा के हिसाब से स्‍कीम चुनने का विकल्‍प मिलता है. आप इसमें महज 500 रुपए से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. एक्‍सपर्ट्स की मानें तो ईएलएसएस में लंबे समय का निवेश बेहतर रिटर्न दे सकता है. ऐसे में ये वेल्‍थ क्रिएशन की काबिलियत रखता है.

टैक्‍स बेनिफिट्स

ELSS स्‍कीम्‍स से 3 साल बाद बाहर निकलने पर टैक्‍स की सेविंग होती है. इसमें इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए की अधिकतम सीमा तक आयकर छूट मिलती है. इस डिडक्शन का फायदा आपको सिर्फ पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलेगा. इसके अलावा दूसरी टैक्‍स छूट आपको निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर मिलती है. दरअसल इसमें मिलने वाले रिटर्न पर भी कैपिटल गेन टैक्‍स लगता है. ELSS पर 1 लाख रुपए तक लॉन्‍ग-टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स फ्री रहता है. इससे ज्‍यादा के लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्‍स पर 10 फीसदी की दर से टैक्‍स लगता है. इसके अलावा सेस और सरचार्ज देना होता है.