Multiple Savings account disadvantages: बैंक का बचत खाता (Savings account) एक ऐसा अकाउंट है, जिसमें आप जब चाहें पैसे जमा कर सकते हैं, निकाल सकते हैं. यानी, आपकी लिक्विडिटी की जरूरतों को बनाए रखने के लिए यह एक काफी जरूरी अकाउंट है. आमतौर पर एक व्‍यक्ति 1 या दो सेविंग्‍स अकाउंट रखता है. लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि बार-बार नौकरी बदलना, रोजगार के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाकर बसना, कारोबारी जरूरतें वगैरह के चक्‍कर दो से ज्‍यादा सेविंग्‍स अकाउंट खुल जाते हैं. कई लोग इसके फायदे में यह बताते हैं कि ATM से ज्‍यादा ट्रांजेक्‍शन, एक बैंक में कम तो दूसरे में ज्‍यादा ब्‍याज रहने का फायदा, मल्‍टीपल चेकबुक की सुविधा मिल जाती है. लेकिन, यहां यह जानना जरूरी है कि मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट के अपने कुछ बड़े नुकसान भी हैं.

मिनिमम बैलेंस करना होगा मेन्‍टेन 

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अगर आपके पास मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट हैं, तो आपके सामने एक चुनौती हर अकाउंट में मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस मेन्‍टेन करने की रहती है. सभी बैंकों के रेगुलर सेविंग्स अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस का नियम लागू है. ऐसे में जो अकाउंट आप इस्‍तेमाल नहीं कर रहे हैं, उनमें भी एक निश्चित डिपॉजिट रखना ही होगा. इस समय सेविंग्‍स अकाउंट पर ब्‍याज 3 फीसदी से भी नीचे आ गया है. अगर आप सभी अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस बरकरार नहीं रख पाते हैं, तो आपको बैंक के नियमों के मुताबिक तय पेनल्‍टी देनी होती है. वहीं, अगर आपके पास कम बचत खाता है तो मिनिमम बैलेंस मेन्‍टेन करने का झंझट कम होगा. उन पैसों को दूसरी जगह जैसेकि एफडी, शेयर मार्केट, म्‍यूचुअल फंड में निवेश कर ज्‍यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. 

हर साल लगती है एक तय फीस 

बैंकों में कई ऐसी फीस व चार्जेज होते हैं, जिनका आमतौर पर कस्‍टमर को पता नहीं होता है. ऐसे में अगर उसके पास मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट हैं, तो उसे ज्‍यादा चार्ज देना होगा. बैंक कस्टमर से अकाउंट के लिए एक सालाना मेंटीनेंस फीस और सर्विस चार्ज लेते हैं. ऐसे में अगर आपके मल्‍टीपल बैंक अकाउंट हैं तो हर अकाउंट पर चार्ज और फीस देनी होगी. इसके अलावा अगर आपने हर अकाउंट के लिए डेबिट या एटीएम कार्ड ले रखा है तो उसकी फीस देनी होगी, जो खर्च को और बढ़ा देती है.

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ट्रांजेक्‍शन न होने पर डॉर्मेंट अकाउंट 

मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट में एक दिक्‍कत यह है कि आपको मिनिमम बैलेंस के साथ-साथ रेग्‍युलर ट्रांजैक्‍शन भी करते रहना चाहिए. भले ही आपने अपने बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखा हो लेकिन अगर उस अकाउंट से एक लंबे वक्‍त से ट्रांजेक्‍शन नहीं हुआ है तो अकाउंट डॉर्मेंट हो जाता है. नियमों के मुताबिक, अगर कस्‍टमर 24 महीनों तक अपने अकाउंट में कोई ट्रांजैक्‍शन नहीं करता है, तो बैंक उस अकाउंट को डॉर्मेंट अकाउंट घोषित कर देगा. 

ऐसे में अगर आपको इस अकाउंट को फिर से चालू कर सकते हैं. इसके लिए आपको बैंक में लिखित में एप्लिकेशन देना होती है. इसके साथ ही आपको KYC (Know Your Customer) फॉर्म भरना होगा. आपके डॉर्मेंट अकाउंट को फिर से एक्टिव करने के लिए बैंक आपसे कोई चार्ज नहीं लेता है. नियमों के मुताबिक एक बैंक अकाउंट के डॉर्मेंट होने के बाद भी उसके अकांउट में डिपॉजिट सेफ रहता हैं और समय-समय पर ब्‍याज भी जुड़ता रहता है.

ITR फाइलिंग में भी दिक्‍कत 

मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट इनकम टैक्‍स फाइलिंग में भी दिक्‍कत कर सकते हैं. क्योंकि आपको रिटर्न फाइलिंग में हर अकाउंट की डिटेल देनी पड़ती है. ऐसे में मल्‍टीपल सेविंग्‍स अकाउंट से यह टेंशन बढ़ जाएगी. इसके अलावा अगर गलती से किसी अकाउंट की डिटेल देना छूट गया और इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट ने इसे टैक्‍स की चोरी समझ लिया तो पेनल्‍टी या टैक्‍स नोटिस का सामना भी करना पड़ सकता है.