धनतेरस के दिन सोना (Gold) खरीदना शुभ माना जाता है. जाहिर है आज आप सोना खरीदने की तैयारी में होंगे. इस साल कस्टमर्स के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) भी एक ऑप्शन है. इसके अलावा कई ज्वेलर्स कस्टमर्स को कई लुभावने ऑफर भी दे रहे हैं. आज स्टॉक एक्सचेंज में एनएसई और बीएसई (BSE) भी गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए ट्रेडिंग सेशन को शाम 7 बजे तक के लिए बढ़ाएंगे. लेकिन खरीदारी से पहले आपको सोने से जुड़े टैक्स के बारे में जानना जरूरी है. लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, आपके पोर्टफोलियो में इंश्योरेंस की तरह ही पांच से दस प्रतिशत गोल्ड इन्वेस्टमेंट होना चाहिए. 

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मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर आप इससे ज्यादा इन्वेस्ट करते हैं तो शायद यह गलत फैसला हो सकता है. हां, अगर आप बेटी की शादी के मकसद से गोल्ड में निवेश करते हैं तब यह सही है, लेकिन दूसरे मकसद से इसमें ज्यादा निवेश करना गलत फैसला होगा. यहां आपको बता दें कि दूसरे रूप में गोल्ड में निवेश पर जब आप उसे भविष्य में बेचेंगे तो आपको टैक्स (TAX) भी चुकाना होता है. आइए, यहां नजर डालते हैं कि सोने पर किस तरह टैक्स की देनदारी होती है. 

  • गोल्ड की बिक्री पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) देना होता है. यह आपकी कुल सालाना इनकम में भी जुड़ जाता है. गोल्ड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स सेस सहित 20.8 प्रतिशत है.  
  • फिजिकल गोल्ड बेचने पर भी टैक्स देना होता है. अगर आप सोने की छड़, बिस्कुट, सिक्के या ज्वेलरी खरीदारी की तारीख से तीन साल के अन्दर बेचते हैं तो उसपर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. तीन साल के बाद की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है. गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है.

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  • गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड से हुए फायदे पर भी इनकम टैक्स देना होता है. इस पर लगने वाला टैक्स पूरी तरह फिजिकल गोल्ड की बिक्री पर लगने वाले टैक्स की तरह ही है.
  • सॉवरेन गोल्ड में प्रति ग्राम के हिसाब से सोने की खरीद होती है. सॉवरेन गोल्ड भारत सरकार की तरफ से आरबीआई (RBI) जारी करता है. यह आठ साल की मेच्योरिटी वाला ऑप्शन है. इसमें से पांच साल के बाद बाहर निकलने की सुविधा है. मेच्योरिटी तक इसमें निवेश बनाए रखने पर हासिल होने वाला कैपिटल गेन्स टैक्स छूट के दायरे में आता है.