SC Judgment on Third Party Claims: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने थर्ड पार्टी क्लेम के मामले में बड़ा फैसला दिया है. इसमें शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि गाड़ी ट्रांसफर की किसी भी परिस्थिति में थर्ड पार्टी क्‍लेम जरूरी है. गाड़ी की ओनरशिप ट्रांसफर होने के साथ-साथ थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस भी ट्रांसफर होता है. ऐसे में इंश्‍योरेंस कंपनी एक्‍सीडेंट होने की हालत में पीड़ितों को मुआवजा देने की जवाबदेही से बच नहीं सकती है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि समझौते के तहत कोई किसी गाड़ी मालिक से गाड़ी हायर करता है, तो वाहन पर कंट्रोल के साथ-साथ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी ट्रांसफर होता है. अगर इसके बाद इस गाड़ी से कोई एक्‍सीडेंट हो जाता है, तो इंश्योरेंस कंपनी पीड़ितों को मुआवजा देने की जवाबदेही से बच नहीं सकती है. यानी, कंपनी को थर्ड पार्टी क्‍लेम देना होगा. 

मौजूदा नियमों के मुताबिक, अगर आपने सैकेंड हैंड गाड़ी खरीदी और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन अपने नाम करवा दिया लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसी में बदलाव नही किया. आगे चलकर गाड़ी का एक्‍सीडेंट होता है तो गाड़ी को होने वाले नुकसान यानी इंश्योरेंस कवर के ऑन डैमेज कंपोनेंट में क्लेम ना तो नए खरीददार को मिलेगा ना ही जिसके नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी (गाड़ी बेचने वाले को) है.  

सेकंड हैंड बिक्री में क्‍लेम रिजेक्‍ट के मामले बढ़े

दरअसल,  सेकंड हैंड गाड़ी बिक्री में गाड़ी के ओनरशिप ट्रांसफर के साथ-साथ इंश्‍योरेंस पॉलिसी में बदलाव नहीं कराया गया, तो ओन डैमेज क्‍लेम नहीं हो पाएगा. बीते कुछ सालों में सेकंड हैंड यानी प्री-ओन्‍ड गाड़ी बिक्री में इंश्योरेंस कंपनियों के क्लेम रिजेक्ट के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह गाड़ी का आरसी ट्रांसफर के साथ-साथ इंश्‍योरेंस पॉलिसी में बदलाव नहीं कराना है.