बैंक एफडी (Bank FD) को निवेश का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है. हालांकि बैंक एफडी से जुड़ी बारीकियों को समझना भी जरूरी है. इसमें सबसे जरूरी ये जनना है कि बैंक आपके एकाउंट में ब्याज (Interest) कब क्रेडिट करता है. यानी ब्याज पर ब्याज कब मिलना शुरू होता है, क्योंकि आपके पैसों की तेजी से ग्रोथ तभी शुरू होती है. बैंक एफडी दो तरह की होती हैं - पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट (Periodic Interest Payout) और क्युमुलेटिव डिपॉजिट (Cumulative deposit). 

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पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट का अर्थ है कि आपकी जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज एक नियमित पर आपको दे दिया जाएगा. आमतौर पर सीनियर सिटीजन इसे काफी पसंद करते हैं क्योंकि उनका जमा धन बचा रहता है और नियमित अंतराल पर उन्हें खर्च के लिए पैसे भी मिलते रहते हैं. दूसरी ओर क्युमुलेटिव डिपॉजिट में नियमित अंतराल में मिलने वाला ब्याज आपके मूलधन में जुड़ जाता है और आगे उस पर भी आपको ब्याज मिलने लगता है. इसे ही चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) कहते हैं. नई उम्र के निवेशक इसे पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें भविष्य की जरूरतों के लिए एक बड़ी धनराशि की जरूरत होती है.

क्युमुलेटिव डिपॉजिट या संचयी जमा

मान लीजिए अगर आप 10000 रुपये की एफडी कराते हैं और इस पर 10% ब्याज मिल रहा है. अब सवाल ये है कि ये ब्याज आपके मूल धन में किस अंतराल पर जुड़ेगा. ये अंतराल जितना कम होगा, आपकी कुल राशि उतनी ही अधिक होगी. जैसे सामान्य ब्याज के हिसाब से तीन साल में आपको 3000 रुपये ब्याज मिलेंगे और आपकी कुल राशि होगी 13000 रुपये. लेकिन अगर ब्याज तिमाही आधार पर जोड़ा जा रहा है तो आपको तीन साल पूरे होने पर 13449 रुपये मिलेंगे. यानी 449 रुपये ज्यादा. इसी तरह अगर एफडी पर ब्याज मासिक आधार पर मूलधन में जुड़े तो 3 साल बाद कुल राशि होगी 3482 रुपये.