केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक और अच्‍छी खबर है. अगर वे Central Government Health Scheme (CGHS) का फायदा ले रहे हैं तो उन्‍हें पैनल के बाहर अस्‍पताल में इलाज का क्‍लेम भी मिलेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इलाज के दायरे को सीमित नहीं किया जा सकता है. यानि यह हुआ कि केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स CGHS पैनल के  बाहर के अस्पतालों में भी इलाज करा सकेंगे.

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केंद्र सरकार के एक रिटायर कर्मचारी ने मेडिकल बिल के पेमेंट की मांग की थी लेकिन सरकार मेडिक्लेम देने से इनकार कर रही थी क्योंकि पेंशनर ने CGHS पैनल के बाहर अस्पताल में इलाज कराया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में CGHS पैनल के बाहर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए मेडिक्लेम मिलना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनर्स को बड़ा फायदा होगा क्योंकि गंभीर बीमारी के इलाज की स्थिति में कई बार मरीज को CGHS पैनल के बाहर निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है. इस फैसले से और भी कई ऐसे लोगों को राहत मिल जाएगी, जिन्होंने मजबूरी में पैनल के बाहर इलाज कराया हो.

बता दें कि सरकार ने बीते दिनों केंद्रीय कर्मचारियों और उनके परिवारवालों को चुने हुए प्राइवेट अस्‍पतालों में फ्री इलाज की सुविधा दी है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों की संख्‍या 1.1 करोड़ के आसपास है. इस योजना से उन्‍हें अच्‍छा इलाज मिलना शुरू हो गया है.

क्‍या है स्‍कीम

केंद्रीय कर्मचारी को इस योजना का लाभ लेने के लिए CGHS कार्ड बनवाना होगा. इससे वह सरकारी अस्पतालों में फ्री इलाज करा सकते हैं. प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने पर फीस में छूट मिलेगी.

कार्ड क्‍यों जरूरी

पहले कर्मचरियों को डिस्पेंसरी के काउंटर से नंबर लेना पड़ता था. सरकार ने इसी व्‍यवस्‍था को बदल दिया है. कर्मचारियों को CGHS प्लास्टिक कार्ड दिया गया है जिससे वे देश के किसी भी अस्‍पताल में इलाज करा सकें.

कैसे बनेगा कार्ड

cghs.gov.in की वेबसाइट पर CGHS कार्ड बनवाने के लिए अप्‍लाई करना होगा. साथ ही कुछ दस्‍तावेज भी ऑनलाइन जमा कराने होंगे. यहां कार्ड रिन्यूवल का भी ऑप्शन है. ऑनलाइन फॉर्म भरने के एक महीने बाद आपका प्लास्टिक कार्ड बनकर घर पर आ जाएगा.

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