बर्ड फ्लू की खबरों के बीच Fish की डिमांड तेजी से बढ़ गई है. ऐसे में अगर आप अपना रोजगार करने की सोच रहे हैं तो Fisheries आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है. कई तरह की मछलियां हैं जिनका पालन आप कर सकते हैं. वहीं ट्राउट मछली पालन (Trout Fish Farming) से भी आप मोटी कमाई कर सकते हैं. इसे शुरू करने के लिए 20 फीसदी सब्सिडी भी मिल जाएगी.

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क्‍या है ट्राउट फार्मिंग (What is tout farming)

ट्राउट साफ और ठंडे पानी की मछली होती है. इसमें प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है और यह मछली बहुत महंगी बिकती है. ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इसका पालन होता है. इनमें हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तराखंड, तमिलनाडु प्रमुख हैं. यहां इसके प्रोडक्‍शन के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर भी उपलब्‍ध है. राज्‍य सरकारें ट्राउट फिश फार्मिंग को प्रमोट करने के लिए कई प्रोग्राम भी चला रही हैं.

कितना होगा खर्च (How much will cost)

नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 15X2X1.5 मीटर का रेसवे बनाने पर करीब एक लाख रुपये का खर्च आएगा जबकि लगभग 6 हजार रुपये में Equipments आ जाएंगे, जिसमें हैंड नेट, बाल्‍टी, टब, थर्माकोल बॉक्‍स शामिल है. जबकि 22,500 रुपये में सीड और 1.45 लाख रुपये में फीड पर खर्च होगा. अगर आपने लोन लिया है तो पहले साल का ब्‍याज 26,700 रुपये होगा. इस तरह आपको पहले साल में कुल 3 लाख रुपये का निवेश करना होगा. जिस पर आपको 20 फीसदी यानी कि लगभग 60 हजार रुपये की सब्सिडी मिल जाएगी.

यदि आप SC या ST कैटेगिरी से हैं तो आपको 25 फीसदी सब्सिडी मिलेगी.रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले साल में आपकी बिक्री करीब 3.23 लाख रुपये की होगी, लेकिन अगले साल से आपकी कैपिटल कॉस्‍ट घट जाएगी और आपकी बिक्री 3.50 लाख रुपये होगी.

प्रोटीन से भरी मछली (Protein rich fish)

ट्राउट मछली उत्तरकाशी के डोडीताल में भी पाई जाती है. 120 साल पहले नार्वे के नेल्सन ने यहां ट्राउट मछली के बीज डाले थे और तब से अब तक डोडीताल में एंगलिंग के लिए देश-विदेश के सैलानी यहां पहुचते हैं. इस मछली में सिर्फ एक कांटा होता है. कांटा निकालने के बाद आप इसे चिकन और मटन की तरह पका सकते हैं. ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फैटी एसिड नामक तत्व होता है जो बहुत अच्छा पोषक तत्व है.

ट्राउट के लिए उत्तराखंड महफूज (Trout farming in Uttarakhand)

मछली पालन विभाग उत्तराखंड में कई जिलों में ट्राउट मछली पालन को लेकर किसानों को जागरुक कर रहा है. उत्तरकाशी जिले के मछली पालन विभाग के के मुताबिक, इसके लिए पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस चाहिए और ग्लेशियर से आने वाला पानी ट्राउट मछली के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. यह एक शाकाहारी मछली है.

अगर किसी को इस बारे में ज्यादा जानकारी लेनी है, तो वह Fisheries Department की वेबसाइट fisheries.uk.gov.in पर जाकर ले सकता है. इसके साथ ही विभाग के जिला कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है. वहीं हिमाचल प्रदेश से तो हर साल 150 टन से ज्यादा ट्राउट बाहरी राज्यों में भेजा जा रहा है. इसकी सबसे ज्यादा मांग दिल्ली और पंजाब में है. हिमाचल प्रदेश में ट्राउट मत्स्य पालन पिछले 100 सालों से किया जा रहा है.

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