स्वदेशी जागरण मंच ने रक्षा खरीद से जुड़े मामले पर रक्षा उत्पादन सचिव के एक बयान पर एतराज जताया गया है. बयान में रक्षा उत्पादन सचिव ने कहा था कि अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में रजिस्टर्ड है तो उसे भारतीय वेंडर माना जाएगा.

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स्वदेशी जागरण मंच (Swadeshi Jagaran Manch) के मुताबिक, इससे भारतीय रक्षा उद्योग को सरकार की नकारात्मक आयात सूची (Negative Imports List) से जो लाभ मिलना चाहिए था वह खत्म हो जाएगा.

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में अपना ऐतराज जताते हुए लिखा है कि रक्षा क्षेत्र में 74 फीसदी तक ऑटोमैटिक रूट से विदेशी निवेश के नियम से भारतीय वेंडर की परिभाषा बदलकर कमज़ोर हो गई है. इससे कोई भी विदेशी कंपनी भारत में रजिस्टर होकर दूसरी कंपनी को खरीद कर भारतीय वेंडर होने का दर्ज़ा हासिल कर सकती है. 

महाजन के मुताबिक, भारतीय वेंडर उसे ही माना जाना चाहिए जिसमें नियंत्रण का अधिकार भारतीय नागरिकों के पास है.

स्वदेशी जागरण मंच के मुताबिक, भारतीय वेंडर की परिभाषा को कमज़ोर करने से घरेलू रक्षा उद्योग क्षेत्र को नुकसान पहुंचेगा और रक्षा उद्योग क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की कोशिशों को धक्का लगेगा.

स्वदेशी जागरण मंच ने इस पर भी आपत्ति जताई है कि विदेशी कंपनी भारत में रजिस्टर होकर काम शुरु करेगी तो उसकी टेक्नोलॉजी की नीति भारत सरकार के नियंत्रण में नहीं होगी, बल्कि उसके मूल देश के कानून के अधीन होगी.

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बता दें कि सैन्य क्षेत्र में स्वदेशीकरण के तहत रक्षा मंत्रालय दूसरी नकारात्मक हथियारों की आयात सूची तैयार करने पर काम कर रहा है, जो इस वर्ष के अंत तक जारी होने की संभावना है. इस सूची में और अधिक उपकरण शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिस पर रोक लगा दी जाएगी, जिन्‍हें सेना द्वारा आयात किया जा रहा है.

 

पहली नकारात्मक आयात सूची (Negative Imports List) में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (हल्‍के लड़ाकू विमान) की श्रेणी में आर्टिलरी गन, पारंपरिक पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों सहित 101 सैन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है.