मोदी सरकार ने ब्‍यूरोक्रेट के लिए शेयर बाजार में निवेश की सीमा का 27 साल पुराना नियम बदल दिया है. 1992 में बने इस नियम के तहत ग्रुप A और B के अधिकारियों को शेयर, डिबेंचर या MF (म्‍यूचुअल फंड) में 50 हजार रुपए से अधिक के निवेश पर केंद्र सरकार को इसकी जानकारी देनी होती है. लेकिन अब इस सीमा को बढ़ाकर 5 गुना कर दिया गया है. वहीं ग्रुप C और D स्‍तर के अधिकारियों के लिए यह सीमा 25 हजार रुपए है.

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50 हजार रुपए से ज्‍यादा कर पाएंगे निवेश

सरकार के हाल के आदेश से शेयर बाजार में निवेश की यह सीमा बढ़ गई है. ग्रुप ए और बी लेवल के अधिकारी अपनी 6 माह की बेसिक सैलरी शेयर में लगा पाएंगे. ऐसा इसलिए संभव हुआ है क्‍योंकि अलग-अलग वेतन आयोग के तहत हर स्‍तर के कर्मचारी या अधिकारी की सैलरी कई गुना बढ़ गई है.

हालांकि अधिकारियों को निवेश की सीमा बढ़ने के बाद भी सरकार को शेयर बाजार में लगाई गई रकम के बारे में बताना होगा. इकोनॉमिक टाइम्‍स की खबर के मुताबिक सरकार के नोटिफिकेशन में बताया गया है कि अगर कोई अधिकारी अपना दो माह से अधिक का बेसिक वेतन शेयर बाजार में निवेश करता है तो उसे इसकी जानकारी संबंधित विभाग को देनी होगी.

क्‍या है केंद्रीय कर्मचारियों की मांग

केंद्र सरकार के निचले स्‍तर के अधिकारी अपना मूल वेतन 18000 रुपए से बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो सरकार लेवल 5 तक के अधिकारियों का फिटमेंट फैक्‍टर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बढ़ा सकती है. इसका ऐलान चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले संभव है.

एजी ऑफिस सिविल एकाउंट्स ब्रदरहुड के पूर्व अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी ने बताया कि अलग-अलग वेतन आयोग लागू होने के बाद अफसरों के मुकाबले निचले स्‍तर के कर्मचारियों के वेतन में कम बढ़ोतरी हुई है. सरकार की यह कोशिश है कि इस स्‍तर को निचले स्‍तर के कर्मचारियों को फिटमेंट फैक्‍टर बढ़ाकर पाटा जा सके.