World Trade Organization: विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में 12 जून रविवार यानी कि आज से शुरू किया जाएगा. व्यापार और आजीविका को प्रभावित करने वाले कम से कम छह महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस बैठक में चर्चाएं होगी. बता दें कि मंत्रिस्तरीय सम्मेलन विश्व व्यापार संगठन का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है. पिछली बार यह बैठक अर्जेंटिना में 2017 में हुई थी. 

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कोरोना महामारी पर विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया

भारत चाहता है कि विश्व व्यापार संगठन कोरोना महामारी से पैदा हुई बाधाओं को दूर करने का काम करे. कोरोना वैक्सीन एवं उसकी निर्माण प्रक्रिया पर अस्थायी पेटेंट छूट के लिए गठित विश्व व्यापार संगठन पैनल में बात होगी. जिसके तहत अनिवार्य लाइसेंस जारी करने  के बीच आने वाली मुश्किलों को कम करने की कोशिश होगी. 

महामारी ने जिस तरीके से भारत सहित पूरी दुनिया में तबाही मचाई है, उसे देखते हुए फैसला जल्द होना चाहिए था. हालांकि, फार्मा लॉबी के दबाव में, अधिकांश विकसित देशों ने समाधान के लिए तर्क दिया था. भारत लगातार विकासशील देशों और कम से कम विकसित देशों (एलडीसी) द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों (ट्रिप्स) लचीलेपन के व्यापार-संबंधित पहलुओं का उपयोग करने में आने वाली कठिनाइयों की पहचान करने की मांग कर रहा है.

कृषि और खाद्य सुरक्षा

कृषि, व्यापार और खाद्य सुरक्षा पर बातचीत होना एक चुनौतीपूर्ण विषय है. विश्व व्यापार संगठन में बातचीत के तहत एक महत्वपूर्ण मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MAP) पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम के संरक्षण से संबंधित है. कृषि के मुद्दों पर प्रगति से विश्व व्यापार में विकृतियों को दूर करने में मदद करके खाद्य और कृषि बाजारों के कामकाज में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है. 

MC12 में, सात कृषि व्यापार विषयों पर बातचीत होती है - खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग, व्यापार-विकृत घरेलू सब्सिडी, कपास, बाजार पहुंच, विशेष सुरक्षा तंत्र, निर्यात प्रतियोगिता, निर्यात प्रतिबंध, जैसे मसलों पर बातचीत की जाएगी. भारत के लिए, कृषि वार्ता में सर्वोच्च प्राथमिकता सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग (पीएसएच) के मुद्दे का स्थायी समाधान हासिल करना होगा. 

भारत सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से चावल और गेहूं जैसी फसलें खरीदती है, जो आम तौर पर प्रचलित बाजार मूल्य से अधिक होती है. सरकार  800 मिलियन से अधिक गरीब लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन्हें कम कीमत पर स्टोर और बेचती है. हालांकि, एग्रीमेंट ऑफ एग्रीकल्चर नियम सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर भोजन खरीदने की सरकार की क्षमता को सीमित करने का काम करती है. 

इस सम्मेलन में भारत खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक भंडारण (पीएसएच) के मुद्दे के स्थायी समाधान पर जोर देगा. पीएसएच कार्यक्रम एक नीतिगत उपाय होता है जिसके तहत सरकार किसानों से चावल और गेहूं जैसी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदती है और इसका भंडारण करके गरीबों में अनाज वितरित करती है.

विश्व व्यापार संगठन में सुधार 

इस बातचीत में जो तीसरा और सबसे अहम बिंदू है, वह विश्व व्यापार संगठन में सुधार लाने की है. विश्व व्यापार संगठन कई देशों के बीच व्यापार विवादों को खत्म करना चाहता है. नियमों और विनियमों को कैसे बदला जा सकता है. इस पर चर्चाएं होने की उम्मीद है. डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्यों के अधिकारों और दायित्वों को संरक्षित करने के लिए विवाद निपटान प्रणाली (डीएसएस) में गतिरोध को हल करना शामिल है. अपीलीय निकाय (एबी) गतिरोध का समाधान अन्य सुधारों से पहले होना चाहिए.

मत्स्य पालन

विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश मत्स्यपालन सब्सिडी समझौते पर भी अपनी बात रखेंगे. इस बातचीत का मकसद अवैध, गैर-सूचित और अनियमित मछली पकड़ने के लिए सब्सिडी खत्म करना और जरूरत एवं क्षमता से अधिक मछली पकड़ने पर सब्सिडी पर रोक लगाना शामिल है. जिससे मछली पकड़ने की सतत व्यवस्था को बढ़ावा मिल सके. 

वैश्विक भंडारण का 34 फीसदी जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने से बना है जो 1974 की तुलना में दस फीसदी अधिक है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि मछलियों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों का बहुत अधिक दोहन हुआ. मत्स्य पालन एक बड़ा कॉर्पोरेट व्यवसाय है. यूरोपीय संघ के मछली पकड़ने के जहाज दूर अफ्रीका से मछली पकड़ते हैं, लेकिन यूरोपीय संघ गरीब देशों को व्याख्यान देता है कि छोटे मछुआरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक मछली पकड़ने के जहाज वैश्विक स्टॉक को समाप्त कर देते हैं.

 

यूरोपीय संघ, अमेरिका और जापान के नेतृत्व वाले अमीर देश सबसे अधिक सब्सिडी प्रदान करते हैं. इस मामले पर भारत का कहना है कि दूरदराज के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने का काम नहीं करने वाले विकासशील देशों को जरूरत से अधिक मछली पकड़ने पर सब्सिडी प्रतिबंध से कम-से-कम 25 साल की राहत मिलनी चाहिए. 

ई-कॉमर्स व्यापार पर सीमा शुल्क को लेकर होगी बात

डब्ल्यूटीओ के सदस्य साल 1998 से इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण पर सीमा शुल्क नहीं लगाने पर सहमत हुए थे. मंत्रिस्तरीय सम्मेलनों (एमसी) में इस स्थगन को समय-समय पर क्रमिक रूप से आगे बढ़ाया गया है. इस बैठक में भारत ई-कॉमर्स व्यापार पर सीमा शुल्क पर रोक जारी रखने का कड़ा विरोध करेगा और इसे समाप्त करने पर जोर देगा, क्योंकि यह विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.

भारत के मुताबिक वस्तु व्यापार परिषद, सेवा व्यापार परिषद और ट्रिप्स परिषद को ई-कॉमर्स पर चर्चा करनी चाहिए. एक स्थगन को जारी रखने के पक्ष में और दूसरा भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका द्वारा सह-प्रायोजित इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क पर अधिस्थगन के सवाल पर चुप है. फिर भी, यह ई-कॉमर्स पर कार्य कार्यक्रम को फिर से जीवंत करने के महत्व पर बल देता है. अब तक, दोनों समूहों के बीच कोई आम सहमति नहीं है.

 

विश्व व्यापार संगठन के अनुच्छेद 64.2 के तहत, एक "स्थगन", यानी, ट्रिप्स अ-उल्लंघन शिकायतों का उपयोग नहीं करने का समझौता, 1999 तक चलेगा. लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना और पूर्ण रोजगार सुनिश्चित करना विश्व व्यापार संगठन के दो महत्वपूर्ण घोषित उद्देश्य हैं। विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों को इनके साथ अपनी बातचीत की स्थिति में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है. भारत को सम्मेलन में भाग लेने वाले 164 देशों में से लगभग 81 का समर्थन प्राप्त है, जिसने भारत की ताकत को और बढ़ाने का काम किया है.