तब आप क्या करेंगे जब सुबह सुबह आपके नल से पानी गायब हो जाए. तब क्या करेंगे जब गर्मी से परेशान हों और पीने के लिए पानी भी न मिले. हम ये सवाल आपसे इस लिए पूछ रहे हैं क्योंकि देश में पानी का संकट गहराता जा रहा है. देश के 14 राज्यों में हालात नाजुक हैं. जल संकट वाले 122 देशों की लिस्ट में भारत 120वें नंबर पर खड़ा है. देश में ये हालात तब हैं जबकि भारत को नदियों का देश कहा जाता. 

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देश के कई हिस्सों में ऐसे दृश्य आम हैं जहां पानी के टैंकर के पीछे भागते लोगों की बीच एक तरह की रेस देखी जा सकती है. ये रेस है जिंदगी बचाने की. रेस पानी की. महाराष्ट्र में इन दिनों सूखे से स्थिति बेहद खराब है, लेकिन पूरे देश में मॉनसून की आस में आसमान पर टकटकी लगाए लोगों का कमोबेश एक जैसा ही हाल है. 

 

हाल ही में नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था- 

1. देश के कई राज्यों में पानी की स्थिति चिंताजनक है.

2. कई राज्यों में भूजल स्तर काफी नीचे पहुंच गया है.

3. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और तमिलनाडु में स्थिति अच्छी नहीं है.

4. देश के 21 शहरों में हालात और भी खराब हैं, जिनमें दिल्ली, बैंगलूरू, चैन्नई और हैदराबाद के नाम शामिल है

5. 2030 में स्थिति और गहराने वाली है क्योंकि 2030 तक पानी की जरूरत दोगुनी हो जाएगी. 

हालात कितने नाजुक हैं इसका अंदाजा इससे लगाइये कि देश के 60 करोड़ लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं. 40% आबादी के पास पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है. 75% लोगों के घरों में पीने के पानी की सप्लाई नहीं है. ग्रामीण इलाकों में करीब 84% घरों में पानी की पाइपलाइन नहीं है. देश के 70% लोग अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं. प्रदूषित पानी पीने की वजह से देश में हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती है. जल संकट वाले 122 देशों की लिस्ट में भारत 120 वें नंबर पर आता है.

केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि देश के 91 जलाशयों में उनकी क्षमता का 25% पानी ही बचा है. 71 जलाशयों में पानी और भी कम बचा है. गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में हालात और भी खराब हैं. महाराष्ट्र के जलाशयों में 68% तक पानी खत्म हो चुका है. वहीं गुजरात के जलाशयों में भी पानी कम हो गया है. दुर्भाग्य ये है कि देश में बारिश के पानी के इस्तेमाल की व्यवस्था लगभग नहीं है. बारिश का सिर्फ 10-15% पानी ही इस्तेमाल हो पाता है. बाकी का करीब 85-90% पानी नदियों के रास्ते समुद्र में चला जाता है.

हम हर चीज के लिए भले ही सरकार को जिम्मेदार ठहराएं, लेकिन सच्चाई तो ये है कि पानी की बर्बादी के पीछे हाथ हमारा भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में एक व्यक्ति रोजाना करीब 100 लीटर पानी खर्च करता है. हम सिर्फ सुबह सुबह ब्रश करने में करीब 7 लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में ये जरूरी है कि हम पानी की एक-एक बूंद की अहमियत को न सिर्फ समझें. बल्कि उसे बचाने के लिए हर संभव कोशिश करें. क्यों जल ही जीवन है.