Vacancies in Central Universities: देश की जानी-मानी यूनिवर्सिटी में पढ़ना लाखों छात्रों का सपना होता. यहां पढ़कर वो अपने सपने पूरा करना चाहते हैं. लेकिन 46 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में टीचर्स के हजारों पद खाली हैं. जाहिर है इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई में दिक्कत आ रही है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जहां सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में नई शिक्षा नीति लागू करने का दबाव है वहीं इन विश्वविद्यालयों में 6481 टीचर्स की कमी है. देश के इस सबसे बड़े विश्वविद्यालय यानी डीयू में ही में शिक्षकों के सबसे ज्यादा 859 पद खाली पड़े हैं.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में 6000 से ज्यादा पद खाली 

देशभर के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. जाहिर है इसमें इन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की बड़ी भूमिका है. वहीं इन विश्वविद्यालयों में 6000 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. डीयू के अलावा जेएनयू में 317, जामिया मिलिया इस्लामिया में 211, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 611 और बीएचयू में शिक्षकों के 499 पद खाली हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 6481 पद खाली पड़े हुए हैं.

कई बार जारी हुए विज्ञापन

शिक्षाविदों का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लंबे समय से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसरों के पद खाली हैं. इनको भरने के लिए कई बार विज्ञापन भी जारी हो चुके हैं. डीयू में स्क्रीनिंग के बावजूद इन पदों को नहीं भरा नहीं गया. शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने एक लिखित जानकारी में बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 359, जेएनयू  में 317, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 230 पद खाली हैं.

पहले भी जारी हुआ था सर्कुलर

शिक्षा मंत्रालय के तत्कालीन सचिव अमित खरे ने बैकलॉग पदों को भरने के लिए 24 अगस्त 2021 को सर्कुलर जारी किया था. उन्होंने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों उच्च शिक्षण संस्थानों को मिशन मोड में भर्ती करने के निर्देश दिए थे. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ हंसराज सुमन का कहना है कि ये वैकेंसी तो सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालयों की है जबकि उनसे सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त पड़े हुए है. डॉ. सुमन ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय के सर्कुलर से पहले यूजीसी भी सर्कुलर जारी कर चुका है. 

एकेडेमिक्स ने की सख्ती की मांग

देश के कई शिक्षाविदों ने मांग की है कि इन पदों को भरने की समय सीमा निश्चित की जाए. जो विश्वविद्यालय इन नियमों का पालन न करें उनका अनुदान बंद किया जाए. वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वैकेंसी एक सतत प्रक्रिया है. इसलिए शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को विशेष अभियान और मिशन मोड में शिक्षकों के पदों को भरने के निर्देश दिए हैं.