Uttarakhand news: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले (Chamoli district) में जोशीमठ (Joshimath) में ग्लेशियर फटने से NTPC के तपोवन स्थित विष्णुगढ़ में बन रहे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा है.  ये जानकारी  Power and New & Renewable Energy मंत्री R.K.Singh ने दी. उन्होंने बताया कि तपोवन स्थित विष्णुगढ़ में NTPC का 520 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है. इसके कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचा है. ये पावर प्रोजेक्ट 2022-23 में बन कर तैयार होना है. उन्होंने बताया कि चमोली में हुए इस हादसे पर लगातार नजर रखी जा रही है. राहत और बचाव के काम के लिए केंद्र सरकार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के संपर्क में है.

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170 से ज्यादा लोग हैं लापता More than 170 people are missing

चमोली जिले में ऋषिगंगा आपदा में 170 से ज्यादा लोगों के लापता होने की खबर है. दो हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट और कई पुलों पूरी तरह से टूट चुके हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऋषिगंगा के पांच किमी नीचे तपोवन क्षेत्र में निर्माणाधीन एनटीपीसी परियोजना में मलबे से बंद हो गई एक सुरंग में 35 से अधिक लोग फंसे हुए थे. आईटीबीपी और सेना की एक संयुक्त टीम सुरंग के बचाव में लगी हुई थी. इससे पहले ITBP कर्मियों ने तपोवन के पास एक और सुरंग से 12 मजदूरों को बचाया.  इस हादसे में जिन लोगों की मौके हुई है सरकार उन्हें  4-4 लाख रुपये का मुआवजा देगी.

बचाव के काम को तेज किया गया Rescue work expedited

ITBP के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे (ITBP spokesman Vivek Kumar Pandey) के मुताबिक दूसरी टनल के लिए सर्च ऑपरेशन (search operationb) तेज़ कर दिया है, वहां क़रीब 30 लोगों के फंसे होने की सूचना है. आईटीबीपी के 300 जवान (ITBP personnel) टनल को क्लियर करने में लगे हैं जिससे लोगों को निकाला जा सके. जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है. खबरों के मुताबिक अब तक कुल 15 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है और अलग-अलग स्थानों से 14 शव बरामद किए गए हैं.''

कई सालों से मिल रहे हैं हादसों के संकेत signs of accidents from many years

ऋषिगंगा नदी में जल प्रलय आपको भले ही एक हादसा लगे लेकिन इसके संकेत कई सालों से मिल रहे थे. भूविज्ञानी (वर्तमान में यूसैक निदेशक) डॉ. एमपीएस बिष्ट और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Institute of Himalayan Geology) ने अपने एक शोध में साफ कर दिया था कि ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र (Rishiganga catchment area) के आठ से अधिक ग्लेशियर सामान्य से ज्यादा रफ्तार से पिघल रहे हैं. जाहिर है इनसे पानी तेजी से नीचे आएगा और एवलॉन्च (Avalonch) की घटनाएं भी अधिक होंगी. इतना ही नहीं, इन ग्लेशियरों के पानी का दबाव भी अकेले ऋषिगंगा पर पड़ता है, जो आगे जाकर धौलीगंगा (Dhauliganga), विष्णुगंगा (Vishnunganga), अलकनंदा (Alaknanda), भागीरथी ( Bhagirathi) (Ganga) के पानी को प्रभावित करता है.

उत्तराखंड में बन रहे हैं कई और पावर प्रोजेक्ट power projects in Uttarakhand

उत्तराखंड की नदियों पर जल विद्युत परियोजनाओं (hydropower projects) का जाल फैला हुआ है. टिहरी सहित 39 परियोजनाओं के साथ ही यूजेवीएनएल (UJVNL) की 32 छोटी-बड़ी परियोजनाएं और कई कंपनियों की परियोजनाएं भी इसमें शामिल हैं. उत्तराखंड सरकार (government of Uttarakhand) ने वर्ष 2005 से 2010 के बीच लगभग दो दर्जन से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं (hydroelectric projects) की मंजूरी दी. तीस हजार करोड़ से अधिक की इन परियोजनाओं से 2944.80 मेगावॉट बिजली का पैदा होने की संभावना है. सरकारी संगठनों की ओर से एक-एक कर 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जा चुका है. एनजीटी (NGT) भी इस पर सुनवाई कर रही है.

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