टोक्यो ओलंपिक 2020 का भारतीय खिलाड़ियों का सफर शानदार गुजरा. इस बार भारत सबसे अधिक ओलंपिक मेडल जीतने में सफल रहा. पिछले 4 ओलंपिक से कुश्ती में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन कमाल का रहा है. पहलवान सुशील कुमार ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक अपने नाम किया था. वहीं इस बार रवि कुमार दहिया और बजरंग पूनिया ने कुश्ती में भारत का नाम रोशन करने में कामयाबी हासिल की है. 

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भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया (65 किग्रा भार वर्ग) ने कजाकस्तान के पहलवान नियाजबेकोव दौलत को 8-0 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया. वहीं रवि दहिया ने रजत पदक जीतकर पहलवानी में मेडल लाने के सिलसिले को बरकार रखा. भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन देखते हुए अब उत्तर प्रदेश सरकार ने कुश्ती में निवेश करने का फैसला किया है. भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. 

उत्तर प्रदेश सरकार से की गई थी कुश्ती को समर्थन देने की गुजारिश

ब्रिजभूषण शरण सिंह ने कहा कि कुश्ती खेल को गोद लेने वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पहलवानों के समर्थन और बुनियादी ढांचों के लिये 2032 ओलंपिक तक 170 करोड़ रूपये का निवेश किये जाने की उम्मीद है. डब्ल्यूएफआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उन्होंने ओडिशा सरकार के हॉकी खेल के समर्थन देने के कदम से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से अपने खेल के लिये इसी तरह की मदद की गुजारिश की.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी मंजूरी

ब्रिजभूषण शरण सिंह ने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहा कि ओडिशा छोटा राज्य है, फिर भी वह इतने शानदार तरीके से हॉकी का समर्थन कर रहा है तो हमने सोचा कि उत्तर प्रदेश कुश्ती का समर्थन क्यों नहीं कर सकता जबकि यह इतना बड़ा राज्य है. हमने उनसे संपर्क किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे स्वीकार कर लिया. ’’उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने प्रस्ताव में 2024 खेलों तक प्रत्येक वर्ष समर्थन के लिये 10 करोड़ रूपये की मांग की (मतलब 30 करोड़ रूपये) और फिर 2028 के अगले ओलंपिक चक्र के लिये प्रत्येक वर्ष 15 करोड़ रूपये (60 करोड़ रूपये) की मदद के लिये कहा है. और अंतिम चरण में 2032 के लिये प्रत्येक वर्ष 20 करोड़ रूपये (80 करोड़ रूपये) के लिये कहा. ’’

देश के शीर्ष पहलवानों से लेकर छोटे पहलानों को पहुंचेगा इससे फायदा

सिंह ने कहा, ‘‘ऐसा करने से प्रयोजन सिर्फ देश के शीर्ष पहलवानों तक ही सीमित नहीं रहेगा. बल्कि कैडेट स्तर के पहलवानों को भी प्रायोजित किया जायेगा और हम राष्ट्रीय चैम्पियनों को भी पुरस्कार राशि दे सकेंगे. ’’डब्ल्यूएफआई ने 2018 में टाटा मोटर्स से भी भारतीय कुश्ती के मुख्य प्रायोजक के तौर पर भागीदारी की थी जिससे उन्हें 12 करोड़ रूपये का वित्तीय सहयोग मिला था और महासंघ तोक्यो ओलंपिक तक पहलवानों को केंद्रीय अनुबंध दे सका था.

विदेशों में ट्रेनिंग कर सकेंगे भारतीय पहलवान

पता चला है कि नये करार के साथ यह भागीदारी फिर शुरू हो जायेगी. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की इस मदद से भारतीय कैडेट स्तर के पहलवानों को भी विदेशों में ट्रेनिंग दौरे मिल पायेंगे.यह देखना होगा कि राज्य सरकार से इस करार के बाद डब्ल्यूएफआई निजी एनजीओ जैसे जेएसडब्ल्यू और ओजीक्यू को कुश्ती का समर्थन करने की अनुमति देगा या नहीं. इसके बारे में पूछने पर सिंह ने कहा कि सभी दरवाजे खुले हैं लेकिन एक शर्त के साथ. उन्होंने कहा, ‘‘हमें पहले भी उनकी जरूरत नहीं थी. लेकिन अगर वे सहयोग करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. हम बस यही चाहते हैं कि वे डब्ल्यूएफआई के साथ पारदर्शी रहें. वे पहलवानों के साथ गुपचुप करार नहीं कर सकते. अगर वे मदद करना चाहते हैं तो वे हमारे साथ बैठकर योजना बना सकते हैं. ’’