उत्तर प्रदेश में बिजली बुनियादी ढांचा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. राज्य के बाहर से बिजली लेने अर्थात कुल बिजली स्थानातंरण क्षमता (टीटीसी) बढ़कर 12,850 मेगावाट पहुंच गई है. जून 2018 में टीटीसी जून 2018 में 10,700 मेगावाट और अप्रैल 2017 में 7,800 मेगावाट थी. उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लि. (यूपीपीटीसीएल) ने एक बयान में कहा, ‘‘राज्य की बहार से बिजली लाने की क्षमता बढ़कर 12,850 मेगावाट हो गई है.’’ 

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इसके अलावा राज्य की बिजली पारेषण क्षमता भी बढ़कर 24,000 मेगावाट हो गई है जो जून 2018 में 20,700 मेगावाट तथा अप्रैल 2017 में 16,300 मेगावाट थी. इस बारे में राज्य के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘गर्मियों में बिजली की मांग में वृद्धि तथा ग्राहकों को निरंतर बिजली आपूर्ति के लिये हमने अपनी स्थानांतरण क्षमता को सुदृढ़ किया है.’’ 

राज्य में फिलहल बिजली की व्यस्त समय में मांग करीब 19,000 मेगावाट है. यूपीपीटीसीएल के प्रबंध निदेशक सेंथिल पांडियन सी ने भी कहा, ‘‘हमें औद्योगिक इकाइयों, ग्राहकों की बिजली मांग को पूरा करना है. इसके लिये सरकार ने टीटीसी के साथ पारेषण क्षमता बढ़ाई है.’’ 

उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी एक बड़ी समस्या है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतम पारेषण क्षति वाले जनपदों में न केवल लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आजमगढ़, गोरखपुर, इलाहाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, कानपुर, फैजाबाद, फिरोजाबाद, देवीपाटन आदि शामिल हैं बल्कि शामली, बागपत, जयप्रकाश नगर, संभल, एटा, मैनपुरी, हाथरस आदि अपेक्षाकृत छोटे शहरों में भी अच्छी-खासी बिजली चोरी की घटनाएं होती रही हैं. सरकार इस चोरी पर लगाम लगाने के लिए प्रयास लगातार कर रही है.