प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में देश की अर्थव्यवस्था और जम्मू-कश्मीर के विकास से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए. बैठक में अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई. सिंगल ब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के मानकों को और उदार बनाने और सिंगल ब्रांड रिटेल फर्मों को ऑनलाइन स्टोर्स खोलने की अनुमति देने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा हुई.

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कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी. 

75 नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का फैसला किया गया. देश के ऐसे इलाके जहां मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, वहां ये कॉलेज खोले जाएंगे. इन कॉलेजों पर 24000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. 75 नए कॉलेज खुलने से एमबीबीएस की 15700 नई सीटें तैयार होंगी. उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में एमबीबीएस और एमडी की 45000 नई सीट बढ़ाई गई हैं. पिछले कार्यकाल में 82 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए थे. इस बार 75 नए कॉलेज खोले जाएंगे.

60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात

किसानों के लिए किए गए फैसलों के बारे में उन्होंने बताया कि सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया है. इस निर्यात पर 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. खास बात ये है कि सब्सिडी का यह पैसा चीनी मिलों को न देकर उन गन्ना किसानों के खाते में जाएगा, जिनका भुगतान शुगर मिलों पर बकाया है. उन्होंने बताया कि इस बार देश में 162 लाख मीट्रिक टन चीनी का स्टॉक है.

कोल इंडस्ट्री में 100 फीसदी FDI

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विदेशी निवेश पर लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीते 5 सालों में 286 मीलियन डॉलर का एफडीआई भारत में आया है. 2018-19 में 64.37 विलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा एफडीआई है.

 

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उन्होंने बताया कि एफडीआई को प्रोत्साहन देने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कोल माइनिंग और कोयला से जुड़े तमाम कामों के लिए शत-प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है. कोल माइनिंग से जुड़े सहायक कामों के लिए 100 फीसदी एफडीआई को हरी झंडी दिखा दी गई है.

भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कॉन्ट्रेक्ट्र मैन्युफैक्चरिंग में भी 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है. यह नीति छोटे-बड़े सभी मैन्युफैक्चर्स पर लागू होगी.