Digital platforms safety: अगर इंटरनेट (इंटरनेट) ने आपको पूरी दुनिया से जोड़ा है. आपको तमाम तरह की सुविधा दी है तो वहीं यह आपकी सेफ्टी और प्राइवेसी के लिए खतरनाक भी है. अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन इंटरनेट सोसाइटी (Internet society) की तरफ से जारी एक श्वेतपत्र में कहा गया है कि भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital platform) पर संदेश की शुरुआत करने वाले का पता लगाने पर बहस जारी रहेगी और इसके लिए प्रस्तावित विचार को लागू करने से यूजर्स की सेफ्टी और प्राइवेसी पर विपरीत असर पड़ सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इंटरनेट सोसाइटी ने हाल ही में ट्रैसेबिलिटी और साइबर स्पेस पर एक श्वेतपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2018 के आखिर में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था. इस संशोधनों के बाद ट्रैसेबिलिटी नहीं करने की स्थिति में कंटेंट के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को जवाबदेह माना जाएगा.

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ट्रैसेबिलिटी एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा Traceability will remain a major issue

सरकार ने सोशल मीडिया और मोबाइल मैसेज प्लेटफॉर्म से उन संदेशों को भेजने वालों का पता लगाने को कहा है, जो देश में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने का इरादा रखते हैं. श्वेत-पत्र में कहा गया कि भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म और संचार सेवा देने वालों के बीच ट्रैसेबिलिटी एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा, हालांकि इसे लेकर सुरक्षा, गोपनीयता और कार्यकुशल को लेकर ठोस चिंताए भी हैं.

डिजिटल सिग्नेचर और मेटाडेटा के इस्तेमाल का प्रपोजल Proposal to use digital signature and metadata

इंटरनेट सोसाइटी ने कहा कि भारत में डिजिटल सिग्नेचर और मेटाडेटा (डिजिटल सूचना स्रोत से कोई भी डेटा) के इस्तेमाल का प्रपोजल है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपने यूजर की सामग्री तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए मजबूर कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अपवादों के साथ निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा है. 

इंटरनेट सोसाइटी की एशिया प्रशांत में वरिष्ठ नीति सलाहकार नोएले डी गुजमैन ने कहा कि भारत सरकार का अपने नागरिकों को ऑनलाइन और वास्तविक जीवन में सुरक्षित रखने के बारे में सोचना सही है. उन्होंने कहा कि हालांकि आतंकवाद और भ्रामक सूचना इंटरनेट संबंधि चुनौती नहीं है, जबकि एक एक व्यापक सामाजिक मुद्दा है. इनके समाधान के लिए अधिक व्यापक संवाद की जरूरत है, जिसमें प्रौद्योगिकी समुदाय को भी शामिल करना चाहिए, ताकि मजबूत साइबर सुरक्षा पद्धतियां समाधान का हिस्सा बनें.

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