पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खेतों से धुआं उठने लगा है और यह धुआं उठकर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के आसमान पर छाने लगा है. पराली जलाने (Stubble Burning) को लेकर सरकार के सारे इंतजाम फेल साबित हो रहे हैं. तकनीक और जागरुकता के बाद सरकार ने अब कुछ कठोर कदम उठाने का फैसला किया है. बिहार सरकार (Bihar Government) ने साफ कर दिया है कि फसल कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने (Straw Burning) वाले किसानों को सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा.

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बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar0 ने फसल अवशेष प्रबंधन पर आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार में कहा खेतों में पराली जलाने का मामला पहले पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) तक ही था. लेकिन अब बिहार के भी कई जिलों में किसान (Farmers) खेतों में फसल के कचरे को जलाने लगे हैं. जिसका आबोहवा और सेहत पर बेहद खराब असर हो रहा है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले रोहतास कैमूर के इलाकों में पराली जलाने के मामले देखे गए, जो कि अब नालंदा, पटना तक यह बुराई फैल गई है. फिलहाल बिहार के आठ जिलों में किसान खेतों में पराली जला रहे हैं. 

नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में पर्यावरण से अमून छेड़छाड़ नहीं होती है. लेकिन देश के दूसरे राज्यों में पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जिसका खामियाजा बिहार को भी भुगतना पर रहा है. पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नतीजा है कि बिहार में जुलाई महीने में बाढ़ आ गई और उसी वक्त सूखा की भी स्थिति पैदा हो गई. सितंबर के महीने में भारी बारिश हुई. गंगा के जलस्तर में बढोतरी हुई और 12 जिले बाढ़ की जद में आ गए.

उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बीते साल बिहार में 32 लाख टन पराली जलाई गई थी. यूपी, पंजाब और हरियाणा में बीते साल 4 करोड़ टन पराली जलाई गई. डिप्टी सीएम ने कहा कि एक टन कचरा जलाने के बाद 2 किलोग्राम सल्फर डाईआक्साईड गैस निकलती है. तीन किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साईड, 199 किलोग्राम राख पैदा होती है, जो बेहद खतरनाक हैं.   

 

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कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि किसान गलतफहमी में पराली जला रहे हैं. उन्हें लगता है कि खेत में पराली जलाने से खेत उपजाऊ होगा. लेकिन हकीकत ये है कि पराली जलाने के कारण मिट्टी को कल्टीवेट करने वाले सभी कीट आग के कारण नष्ट हो जाते हैं. मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है. स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.

 

(रिपोर्ट- आशुतोष चंद्रा/ पटना)