Shaheed Diwas 2022: 23 साल की उम्र में देश पर कुर्बान हो गए भगत सिंह, जानें उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से
Shaheed Diwas 2022: 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी की सजा दे दी गई. महज 23 साल की उम्र में वे मुस्कुराते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे.
Shaheed Diwas 2022: अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने के लिए इस देश के अनेक सपूतों ने अपनी जान की आहूति दी है. यह इतिहास शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता है. 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दे दी गई. महज 23 साल की उम्र में भगत सिंह अपने साथियों के साथ हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए.
भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी को हर साल शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के रूप में याद किया जाता है. कुर्बानी के 91 साल बाद भी भगत सिंह और उनके आजाद भारत को लेकर विचारों को याद किया जाता है. आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक किस्सों को जो आज भी करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देते हैं.
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जलियांवाला बाग हत्याकांड ने बदली जिंदगी
भगत सिंह (Bhagat Singh) की जिंदगी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा असर पड़ा था. साल 1919 अंग्रेजों द्वारा किए गए इस नरसंहार ने भगत सिंह की जिंदगी बदल डाली. उस वक्त भगत सिंह केवल 12 साल के थे. ऐसा कहा जाता है कि भगत सिंह ने जलियांवाला बाग में ही अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ने की कसम खाई थी.
क्या थे आजादी के मायने
आजादी को लेकर भगत सिंह के विचार काफी अलग थे. उनका मानना था कि भारत को आजादी तब नहीं मिलेगी, जब देश से अंग्रेज चले जाएंगे. भारत तब आजाद होगा, जब यह देश एक ऐसा समाज बन जाए, जहां कोई किसी का शोषण न करे.
पंजाब में छुट्टी का ऐलान
पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) को शहीद भगत सिंह का बहुत बड़ा अनुयायी माना जाता है. उन्होंने शहीद दिवस के दिन पंजाब में सरकारी छुट्टी का ऐलान भी कर दिया है.