National wind solar hybrid policy: सरकार ने देश में न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के रिसर्च और विकास को बढ़ावा देने के लिए 25 नवंबर तक 10,100 मेगावाट के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय पावर और न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी (Power and New and Renewable Energy) मिनिस्टर आर के सिंह ने इस बात की जानकारी दी.

2018 में जारी हुई थी नई पॉलिसी

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न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री ने 14 मई, 2018 को नेशनल विंड-सोलर हाइब्रिड पॉलिसी (National wind-solar hybrid policy) को जारी किया. इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य पवन के कुशल उपयोग के लिए बड़े ग्रिड से जुड़े विंड-सोलर पीवी हाइब्रिड सिस्टम (wind-solar PV hybrid system) को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचा, सोलर रिसोर्स और भूमि प्रदान करना है. सरकार ने 25 मई, 2018 को 2500 मेगावाट इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) से जुड़ी विंड सोलर हाइब्रिड प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए एक योजना की मंजूरी दे दी थी.

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मंत्रालय ने इसके लिए 14 अक्टूबर को विंड सोलर हाइब्रिट परियोजनाओं (wind solar hybrid projects) के लिए बिडिंग गाइडलाइंस को जारी किया हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सोलर ऊर्जा निगम लिमिटेड (SECI) ने नए टेंडर्स निकाले हैं. जैसे सोलर-विंड हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स, राउंड दी क्लॉक (RTC) रिन्यूएबल एनर्जी आदि.

10,100 मेगावाट के टेंडर हुए जारी

मंत्रालय ने बताया कि 25 नवंबर तक SECI ने 10,100 मेगावाट की हाइब्रिड/RTC/पीक पावर कैपिसिटी के लिए टेंडर जारी किए हैं, जिनमें से 5350 मेगावाट पहले ही दिए जा चुके हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र डिस्कॉम ने विंड सोलर हाइब्रिड परियोजना की 500 मेगावाट क्षमता के लिए बिड जारी किया गया है.

मिनिस्ट्री देती है वित्तीय सहायता

मिनिस्ट्री ने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी रिसर्च और टेक्नोलॉजी प्रोग्राम (Renewable Energy Research and Technology Development Programme) के लिए विभिन्न रिसर्च संस्थानों और इंडस्ट्री को हाइब्रिड विंड-सोलर टेक्नोलॉजी जैसी नई टेक्नोलॉजू के विकास सहित रिन्यूएबल एनर्जी में रिसर्च करने के लिए फाइनेंशियल सहायता प्रदान की जाती है. मंत्रालय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास प्रस्तावों को प्रोत्साहित करता है और सरकारी / गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठनों को 100% तक और उद्योग, स्टार्ट-अप और निजी संस्थानों को 50% तक वित्तीय सहायता प्रदान करता है.

राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, चेन्नई को कुल 17.99 करोड़ रुपये की लागत से "एकीकृत पवन और सौर संसाधन आकलन मानचित्रण और माप के माध्यम से" नामक एक रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है. इस प्रोजेक्ट के तहत 23 स्थानों पर इंटीग्रेटेड विंड सोलर मेजरमेंट स्टेशनों को चालू किया गया है और सोलर विंड हाइब्रिड मैप तैयार किया गया है.