देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के स्मारक 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का उद्घाटन 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. दुनिया के सबसे ऊंचे इस स्टैच्यू की चर्चा पूरे देश में है और हर कोई इसके बारे में जानना चाहता है. स्मारक को देखने के लिए कोई टिकट है या नहीं, और अगर है तो कितने रुपये का है? उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण के लिए मंगलवार रात अहमदाबाद पहुंच गए.

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए इंट्री टिकट की कीमत 3 से 15 साल तक के बच्चों के लिए 60 रुपये है और इससे अधिक उम्र वाले लोगों के लिए ये टिकट 120 रुपये का है. इसके अलावा आपको बस चार्जेज़ के रूप में 30 रुपये अतिरिक्त देने होंगे.

इस टिकट को लेकर आप स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ ही वैली ऑफ फ्लावर्स, म्यूजियम और ऑडियो वीजियो गैलरी, एसओयू साइट और सरदार सरोवर बांध को देख सकते हैं. अगर आप थोड़े ज्यादा पैसे खर्च कर सकते हैं तो आप ऑब्जरवेशन टिकट ले सकते हैं. ये टिकट बच्चों और बड़ों दोनों के लिए 350 रुपये का है. इस टिकट के जरिए आप ऑब्जरवेशन डेक से स्मारक का विहंगम दृश्य देख सकते हैं. 

ये स्मारक सुबह 8 बजे से खुलेगा, हालांकि ऑब्जरवेशन डेक व्यू की सुविधा सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध है. रात में साउंड एंड लाइट शो का भी इंतजाम किया गया है. डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग से टिकट लेने पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगेगा, हालांकि क्रेडिट कार्ड से टिकट बुक कराने पर एक प्रतिशत जीएसटी देना होगा. आप https://soutickets.in इस साइट पर जाकर ऑनलाइन टिकट बुक करा सकते हैं. फिलहाल साउंट एंड लाइट शो के टिकट अभी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में

स्टैचू ऑफ यूनिटी पर अभी तक कुल 2300 करोड़ रुपये की लागत आ चुकी है. हालांकि लागत बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. इसके निर्माण में 3400 मजदूर और 250 इंजीनियरों ने 42 महीने तक रात-दिन काम किया है. इस स्टैचू को पीपीपी मॉडल के आधार पर बनाया गया है और ज्यादातर धन गुजरात सरकार द्वारा जुटाया गया है. गुजरात सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 2012-13 में 100 करोड़ रुपये और 2014-15 में 500 करोड़ रुपये आवंटित किए. 2014-15 के बजट में केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये की मदद दी.

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 60 महीने का समय लगा. इसमें 15 महीने प्लानिंग में तथा 42 महीने निर्माण में लगे. बाकी समय प्रोजेक्ट को हैंडओवर करने में लगा. लार्सन एंड टुब्रो को ये प्रोजेक्ट 27 अक्टूबर 2014 को मिला. कंपनी ने प्रोजेक्ट के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए 2989 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली लगाई थी.