केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का गुरुवार की शाम को निधन हो गया. 74 वर्षीय पासवान के निधन की खबर उनके बेटे व लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने दी. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और पिछले कई दिनों से दिल्ली के हॉस्पिटल में भर्ती थे. 

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2 अक्टूबर को उनकी हार्ट सर्जरी की गई थी. इससे पहले भी उनकी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी. फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य और मोदी सरकार में  खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे.

चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा, 'पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं.'

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम केंद्रीय मंत्रियों, राजनेताओं और सामाजिक सगंठनों ने पासवान के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. 

राष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में लिखा, 'केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है. उनकी गणना सर्वाधिक सक्रिय तथा सबसे लंबे समय तक जनसेवा करने वाले सांसदों में की जाती है. वे वंचित वर्गों की आवाज़ मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे.'

रामविलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वे लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष थे. पासवान के पास 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड है.

राजनीति में आने से पहले वह बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे.

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राम विलास पासवान का जन्म बिहार के खगरिया जिले के शाहरबन्नी गांव हुआ था. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने 32 वर्षों में 11 चुनाव लड़े और उनमें से नौ चुनाव जीते. 1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्‍यसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीते.

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस सरकार से लड़ने से लेकर अब तक राजनीति में कई बार कांग्रेस के साथ तो कभी खिलाफ रहे. 

1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हाजीपुर सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर विश्व रिकॉर्ड बनाया.

साल 2000 में राम विलास पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जन शक्ति पार्टी का गठन किया.