IIT Delhi: बढ़ता E-Waste पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब है. भारत ई-कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. 2019 में देश में  3.23 million metric tonnes (MMT) ई-कचरा पैदा हुआ है लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इससे लोगों को राहत मिलेगी. दरअसल IIT Delhi ने ऐसी तकनीक ईजाद की है जिससे ई-कचरे से निपटा जा सके.

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रिसाइकिल करने के लिए तकनीक (Techniques for recycling e-waste)

IIT Delhi के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ई-कचरे को मैनेज और रिसाइकिल करने के लिए एक स्थायी तकनीक विकसित की है. केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के HOD प्रो केके पंत के नेतृत्व में यह प्रोजेक्ट किया गया. इसके लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने  फंडिग की थी. वहीं दिल्ली Delhi Research Implementation and Innovation (DRIIV) की पहल के तहत इसे बढ़ाया गया. आईआईटी दिल्ली ने कहा है कि यह तकनीक केंद्र सरकार के 'स्मार्ट सिटीज' 'स्वच्छ भारत अभियान' और 'आत्मनिर्भर भारत' की जरूरतों को पूरा करेगा.

इतनी तेजी से बढ़ रहा ई-कचरा (E-waste growing so fast)

आईआईटी दिल्ली ने कहा है कि ई-कचरा 3 से 5 फीसदी की दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ते कचरे में से एक है. ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर रिपोर्ट 2020 के मुताबिक दुनिया भर में 2019 में 53.7 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कचरा पैदा हुआ और यह 2030 तक 74.7 एमएमटी तक पहुंचने की उम्मीद है.

पर्यावरण के लिए खतरा (environmental hazard)

चिंता की बात ये है कि भारत ई-कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इन ई-कचरे में टॉक्सिक मेटेरियल होते हैं. वहीं गलत तरीके से की गई रिसाइकलिंग प्रक्रिया लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है. आईआईटी दिल्ली के मुताबिक ई-कचरे को metal recovery और ऊर्जा उत्पादन के लिए 'शहरी खान' ('Urban Mines') माना जा सकता है.

IIT दिल्ली का रिसर्च (IIT Delhi's Research)

आईआईटी दिल्ली के रिसर्चर्स द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली तीन-चरण की प्रक्रिया है. इसमें ई-कचरे की pyrolysis, धातु के अंश को अलग करना और अलग-अलग मेटल की रिकवरी की जाती है. इसमें metal mixture से अलग-अलग धातुओं जैसे तांबा, nickel, सीसा, जस्ता, चांदी और सोने को अलग-अलग करने के लिए low-temperature roasting तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक में लगभग 93 फीसदी तांबा, 100 फीसदी nickel, 100 फीसदी जिंक, 100 फीसदी सीसा और 50 फीसदी सोना और चांदी की रिकवरी होती है. 

ग्रीन प्रोसेस (This is a Green process)

यह एक Green process है जिसमें कोई भी जहरीला रसायन पर्यावरण में नहीं छोड़ा जाता. इस प्रोजेक्ट के लिए IIT दिल्ली की टीम को पिछले साल SRISTI-GYTI (Gandhian Young Technological Innovation) प्रशंसा से सम्मानित किया जा चुका है. इस तकनीक का पेटेंट और प्रकाशन जर्नल ऑफ क्लीनर प्रोडक्शन, जरनल ऑफ हैजर्ड मटीरियल, Waste Management and the Journal of Environmental Chemical Engineering में भी हो चुका है.

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