रिपोर्ट : कविता शर्मा

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अब आपके घर आने वाले प्लंबर (Plumber), इलेक्ट्रीशियन (Electrician), वेल्डर डिग्री होल्डर होने के साथ हाईली क्वालिफाईड भी होंगे. हरियाणा में देश की पहली यूनीवर्सिटी खुली है, जो प्लंबर, वेल्डर, बावर्ची, इलेक्ट्रीशियन, कढ़ाई-बुनाई जैसे स्किल कोर्स बच्चों के लिए लेकर आई है. अगर आपके बच्चे की किसी खास हुनर में रुचि है तो वह अपने उसी स्किल को आगे बढ़ा सकता है. कोर्स में बकायदा डिग्री हासिल कर सकता है. देश की पहली स्कील यूनिवर्सिटी प्लंबर से लेकर इलेक्ट्रीशियन के हुनर को पेशे में बदलने वाले स्कील्ड प्रोफेशनल्स तैयार कर रही है. 

दिल्ली से सटे गुरुग्राम (Gurugram) की श्री विश्वकर्मा स्कील यूनिवर्सिंटी में इस साल से 9वीं कक्षा के बाद छात्र अपने हुनर और पसंद के मुताबिक 118 से ज्यादा डिग्री कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. जो छात्र किसान, प्लंबर, मेकैनिक, बावरची, कढ़ाई, जैसे हुनर को नई पहचान देना चाहते हैं वे आसानी से 9वीं या 12वीं कक्षा के बाद एडमिशन ले सकते हैं. स्कील यूनिवर्सिटी का सिलेबस इस तरीके से तैयार किया गया है कि पढ़ते-पढ़ते ही बच्चे कमाई भी कर रहे हैं, जिससे वे सेल्‍फ इम्‍प्‍लॉयड तो बन ही रहे हैं, साथ ही परिवार की देखभाल कर रहे हैं.

कुशल कामगार बनाने के लिए अलग सिलेबस

यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. रितु बजाज के मुताबिक यूनिवर्सिटी में अकैडमिक एजुकेशन नहीं बल्कि नेशनल स्किल क्वॉलिफिकेशन फ्रेमवर्क (NSQF) शिक्षा का पैमाना है. यूनिवर्सिटी का सिलेबस सबसे अलग है, एडमिशन के साथ ही बच्चों को रोजगार भी मिल रहा है. यूनिवर्सिटी में करीब 30 स्कील में 118 कोर्स है, जिनमें टेक्निकल व नॉन टेक्निकल से लेकर कुकिंग, लोक कला, गीत, संगीत, नृत्य से लेकर रोजगार पूरक सभी कोर्स हैं.

PM मोदी का है सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्कील डेवलेपमेंट स्कीम के तहत हरियाणा में बनी स्कील यूनिवर्सिटी से निकलने वाले स्टुडेंट्स को नौकरी के लिए धक्के नहीं खाने पडेंगें. हर साल करीब 12 हजार विद्यार्थियों को हाथ का हुनर और रोजगार दिया जा रहा है. स्किल यूनिवर्सिटी की खास बता यह है कि यहां बच्चे अपनी रुचि के हिसाब से अपनी पंसद के हुनर में अपना कॅरियर बना रहे हैं.

10 हजार रुपए स्‍टाइपेंड 

यूनिवर्सिटी की 1 और खासियत है यहां पर पढ़ाई क्लासरूम में नहीं सीधे इंडस्ट्री में होती है. बड़ी-बड़ी कंपनियां को बच्चों को आज और आनेवाले कल के लिए बखूबी ट्रेन कर रहे हैं. स्टुडेंट जिस स्कील में डिग्री हासिल करना चाह रहे हैं, उसी इंडस्ट्री में उनकी पढ़ाई होती है और हर महीने 100 घंटे का काम दिया जाता है, जिससे 8 से 10 रुपए स्टाइपेंड भी मिल रहा है.