राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) की तीसरी वर्षगांठ पर आज पीएम मोदी (Narendra Modi) ने अखिल भारतीय शिक्षा समागम (Akhil Bharatiya Shiksha Samagam) का उद्घाटन किया. दो दिन तक चलने वाला अखिल भारतीय शिक्षा समागम हाल ही में शुरू हुए भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में हो रहा है. इस मौके पर पीएम मोदी ने बच्चों से बात की और एक प्रदर्शनी का दौरा भी किया. उन्होंने पीएम श्री की पहली किस्त का अनावरण बटन दबाकर किया. इसके तहत 6207 स्कूलों को करीब 630 करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी. यह भारत सरकार की नई योजना है, जिससे स्कूलों को बेहतर किया जाएगा. इसके तहत करीब 27 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सभी स्कूलों को तमाम तरह की सुविधाएं दी जाएंगी, ताकि बच्चे बेहतर शिक्षा पा सकें. गुणवत्ता वाली शिक्षा और 21वीं सदी के सभी कौशल बच्चों को मुहैया कराए जाएंगे. 

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भारत में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती हैं और भाषा की विविधता ही हमारी शक्ति है. तमाम भाषाओं में किताबों और पाठ्य पुस्तकों का ट्रांसलेशन किया गया है, जिनका पीएम मोदी ने विमोचन किया. साल 2021-22 में तमाम भाषाओं में किताबों को ट्रांसलेट किया जा रहा है, ताकि भाषा की बाधा ना रहे. पुस्तकों को प्रचार के लिए ई-कुंभ नाम का पोर्टल भी शुरू किया गया है, जिससे कोई भी कहीं से भी इन्हें डाउनलोड कर सकता है, जिससे शिक्षा को बढ़ावा भी मिलेगा. 

क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी बोले कि शिक्षा में देश का भाग्य बदलने की ताकत है. देश को आगे बढ़ाने में शिक्षा का अहम महत्व है. अखिल भारतीय शिक्षा समागन का हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है. वह बोले कि भारत मंडपम के शुरू होने के बाद यह पहला कार्यक्रम है और खुशी है कि यह शिक्षा का है. अखिल भारतीय शिक्षा समागन की इस यात्रा में एक संदेश छुपा है, जो प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का है. हमारी शिक्षा व्यवस्था भारत की परंपराओं को सहेज रही है और दूसरी ओर आधुनिकता में भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल पूरे

उन्होंने कहा आज हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल पूरे हो रहे हैं. मैं इसे एक मिशन के रूप में लेकर आगे बढ़ाने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं. अभी प्रदर्शनी देखी, जिसमें नए-नए इनोवेटिव तरीके दिखाए गए. बच्चों से मिला, देखा कि कैसे वह खेल-खेल में बहुत कुछ सीख रहे हैं. जब युग बदलने वाले परिवर्तन होते हैं तो वह कुछ समय लेते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सभी ने साहस दिखाया है, यह मुझे खुशी देता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की बात की गई है.

बच्चों के लिए तैयार हो रहे हैं करिकुलम

पढ़ाई की शुरुआत अब 3 साल की उम्र से होगी. 3-8 साल के बच्चों के लिए एक करिकुलम तैयार हो गया है और बाकी के लिए भी तैयार किया जा रहा है. अब सभी स्कूलों में एक तरह का पाठ्यक्रम होगा. अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी दी जाती है, इसलिए पु्स्तकें 22 भारतीय भाषाओं में हैं. मातृ भाषा में पढ़ाई होने की वजह से युवाओं को कई मौके मिलने वाले हैं. दुनिया के विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत तरक्की हासिल की है. 

अपनी भाषा को बनाएं ताकत, हीन भावना को पीछे छोड़ने की शुरुआत

पीएम ने कहा हमारे यहां समृद्ध भाषाएं होने के बावजूद हमने उसे पिछड़ेपन की तरह पेश किया है. जो अंग्रेजी नहीं बोल पाता उसे पिछड़ा समझा जाता है. आज भारत ने इस हीन भावना को पीछे छोड़ने की शुरुआत की है. मैं हर जगह इसीलिए हिंदी में भाषण देता हूं. अब सोशल साइंस से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में होगी. युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा. भाषा की राजनीति कर के अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा. 

हर युवा को शिक्षा के समान अवसर देना है मकसद

आने वाले 25 साल बहुत अहम हैं. इसमें हमें एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, जो नए-नए इनोवेशन के लिए ललायित हो. जो हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करे और अपने दायित्व को समझती हो. इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बहुत अहमियत है. भारत के हर युवा को शिक्षा के समान अवसर देना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद है. सिर्फ स्कूल खोलना भर काफी नहीं, हर बच्चे की समझ और पसंद के हिसाब से उसे विकल्प मिलने चाहिए. अब प्रयास ये है कि हर वर्ग के युवाओं को एक जैसा मौका मिले. पहले दूर के इलाकों में अच्छे स्कूल नहीं थे, इसलिए बच्चे नहीं पढ़ पाते थे. आज दूर-दराज के स्कूलों को पीएम श्री स्कूल के तौर पर अपग्रेड किया जा रहा है. 

शिक्षा को मिल रहा टेक्नोलॉजी का फायदा

5जी के इस युग में आधुनिक हाईटेक स्कूल हैं. दूर-दराज के इलाकों में भी बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं. डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए हर जगह मौके खुल रहे हैं. इस पॉलिसी का मकसद यह भी है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित ना रहे. इसके लिए वोकेशनल एजुकेशन को जनरल एजुकेशन के साथ जोड़ा जा रहा है, जिसका फायदा कमजोर और पिछड़े बच्चों को मिलेगा. किताबी पढ़ाई के कारण यही बच्चे सबसे ज्यादा पिछड़ते थे. अब तमाम स्कूलों में लैब हैं, जिनमें बच्चे पढ़ रहे हैं. इनमें पढ़कर बच्चे आगे बढ़ेंगे और रिसर्च में देश को आगे बढ़ाएंगे. 

हमारे स्टार्टअप्स ने भी दुनिया में बढ़ाई है भारत की धमक

बीते सालों में जिस तेजी से भारत की औद्योगिक शाख बढ़ी है, जिस तेजी से हमारे स्टार्टअप्स की धमक दुनिया में बढ़ी है, उसने हमारी शैक्षणिक संस्थाओं का सम्मान भी दुनिया में बढ़ाया है. तमाम शैक्षणिक संस्थाओं का स्थान दुनिया की रैंकिंग में बढ़ा है. आज हमारी आईआईटी के कैंपस विदेशों में खुल रहे हैं. कई अन्य देश भी हमने ऐसे कैंपस अपने यहां खोलने को कह रहे हैं. कई देश भारत में भी अपनी यूनिवर्सिटी खोलना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी गुजरात में दो यूनिवर्सिटी खोलना चाहती है. इन सबके बीच हमने अपने शिक्षा सिस्टम को मजबूत करना है. सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सशक्त युवा का निर्माण करना जरूरी है. युवाओं को खुली उड़ान का मौका देना चाहिए, ताकि वह कुछ अलग सोचें. बच्चों को सिर्फ किताबों के बोझ तले ना दबाकर रखें, उन्हें कुछ इनोवेटिव भी करने दें.