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मोदी का मिशन कोरोना: 3 दिन में 5 बड़े फैसले, रेमडेसिविर के दाम घटाने से लेकर ऑक्सीजन इम्पोर्ट तक

केंद्र सरकार ने कई अहम फैसले किए, जिससे कोरोना महामारी से निपटने में जरूरी सुविधाएं सुलभ हो सकेंगी.
Updated on: April 16, 2021, 02.32 PM IST
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रेमडेसिविर का बढ़ेगा उत्पादन, घटेगी कीमत

कोविड19 संक्रमित मरीज की स्थिति गंभीर होने पर अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल हो रहा है. बीते कुछ दिनों से देश के कई हिस्सों में इसकी किल्लत की जानकारी सामने आने लगी. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को रेमडेसिविर इंजेक्शन के प्रोडक्शन को बढ़ाने की मंजूरी दे दी. रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने जानकारी दी कि प्रोडक्शन प्रति माह करीब लगभग 78 लाख शीशी तक बढ़ाई जाएगी. रेमडेसिविर के सात मैन्युफैक्चरर की मौजूदा क्षमता 38.80 लाख शीशी प्रतिमाह की है. इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि इंजेक्शन की कीमत में भी कटौती की जाएगी.  मंत्रालय के मुताबिक, छह मैन्युफैक्चरर को 10 लाख शीशी प्रति माह की उत्पादन क्षमता वाले सात अतिरिक्त साइटों के लिए फास्ट-ट्रैक मंजूरी दी गई है. 30 लाख शीशी प्रति माह का उत्पादन भी शुरु होने वाला है. इससे प्रोडक्शन क्षमता लगभग 78 लाख शीशी प्रति माह हो जाएगी. सरकार रेमडे​सिविर के निर्यात पर रोक जारी रखेगी. मंत्रालय के मुताबिक, रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनियों ने स्वेच्छा से इस सप्ताह के अंत तक इसकी कीमत घटाकर 3,500 रुपये प्रति शीशी से कम करने की बात कही है. 

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विदेशी वैक्सीन को 3 दिन में मंजूरी

कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार वैक्सीनेशन प्रोग्राम को तेजी से प्रमोट कर रही है. हालांकि, इस बीच वैक्सीन की कमी के मामले सामने आए. इस बीच, वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला किया. केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल को ही विदेश में बनी कोरोना वैक्सीन को आवेदन के तीन दिन के भीतर देश में इमर्जेंसी इस्तेमाल की मंजूरी का फैसला किया है. इसके लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, विदेश में बनी वैक्सीन को आपात मंजूरी के साथ ही क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी आवेदन करना होगा.  केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) इसके लिए सात दिनों के भीतर मंजूरी प्रदान करेगा. संबंधित कंपनी को परीक्षण के नतीजे सीडीएससीओ के सामने दिखाने होंगे. सरकार ने 13 अप्रैल को ऐलान किया था कि विदेशों में बनी उन सभी वैक्सीन को बिना क्लिनिकल ट्रायल के देश में मंजूरी मिलेगी जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और जापान के ड्रग रेग्युलेटर से मंजूरी मिली हुई है या जो डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल हैं. ऐसी वैक्सीन को पहले 100 लोगों पर इस्तेमाल के बाद सात दिन तक निगरानी की जाएगी और सही नतीजों के बाद ही टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा. इससे देश में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ेगी.

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मेडिकल ऑक्सीजन का इम्पोर्ट

कोरोना मरीजों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल को एक बड़ा फैसला किया. इसके तहत, केंद्र सरकार ने 50,000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का इम्पोर्ट (Medical oxygen import) करने का फैसला किया. जिससे कि देश कई राज्यों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को दूर किया जा सके. जानकारी के अनुसार, सरकार ने वैसे 12 राज्यों की पहचान करने पर काम शुरू किया है, जहां ऑक्सीजन की जरूरत सबसे ज्यादा है.

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पीएम केयर्स फंड से 100 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट

केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल को ही फैसला किया कि पीएम केयर्स फंड के तहत 100 नए अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे. अस्पतालों को मेडिकल ऑक्सीजन की अपनी जरूरत पूरी करने में आत्मनिर्भर बनाने और मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए नेशनल ग्रिड पर दबाव घटाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है. 

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हाफकिन इंस्टीट्यूट में भी बनेगी Covaxin

कोविड19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम को तेज करने के लिए सरकार ने एक और अहम फैसला किया है. केंद्र सरकार ने मुंबई स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट (Haffkine Institute) को भारत बायोटेक (Bharat Biotech) और आईसीएमआर की बनाई वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) को बनाने की अनुमति दे दी है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 15 अप्रैल को खुद एक ट्वीट कर यह जानकारी दी. मुख्यमंत्री ठाकरे ने इस बारे में केंद्र सरकार से गुजारिश की थी. अभी इस वैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कर रही थी.