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पहाड़ काटकर नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां को मिला इनाम, आनंद महिंद्रा ने दिया यह गिफ्ट

बिहार (Bihar) के दूसरे दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) के रूप में विख्यात गया (GAYA) के बांके बाजार प्रखंड के रहने वाले कोटवा गांव के लौंगी भुइयां को महिंद्रा टैक्टर्स (Mahindra Tractors) ने उनके काम को देखते हुए उन्हें ट्रैक्टर बतौर उपहार दिया है.
Updated on: September 20, 2020, 01.37 PM IST
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गिफ्ट में मिला ट्रैक्टर

लौंगी भुइयां ( Anand Mahindra) ने करीब 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद पहाड़ी से गांव तक पानी पहुंचाने के लिए 5 किलोमीटर लंबी नहर तैयार की है. महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने लौंगी भुइयां को अपनी तरफ से एक ट्रैक्टर गिफ्ट दिया है.

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ट्रैक्टर की इच्छा

लौंगी भुइयां की यह मेहनत जब सुर्खियों में आई तो देश-विदेश की मीडिया उन्हें कवर करने पहुंची. मीडिया ने बातचीत में जब उनसे उनकी इच्छा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'मुझे पहले भी कुछ नहीं चाहिए था, अब भी नहीं चाहिए. इस काम के लिए अवार्ड नहीं चाहिए, एक ट्रैक्टर मिल जाए तो ठीक ताकि हम खेती कर सकें.'

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आनंद महिंद्रा ने पूरी की इच्छा

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले उद्योगपति वाले आनंद महिंद्रा ने लौंगी भुइयां की इच्छा जानी तो उसे फौरान पूरा करते हुए उन्हें एक ट्रैक्टर गिफ्ट कर दिया. 

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रॉबिन कुमार ने किया संपर्क

दरअसल, रॉबिन कुमार नाम के एक शख्स ने ट्विटर पर लौंगी भुइयां के साथ तस्वीर साझा करते हुए लिखा था- "गया के लौंगी मांझी ने अपने ज़िंदगी के 30 साल लगा कर नहर खोद दी. उन्हें अभी भी कुछ नहीं चाहिए, सिवा एक ट्रैक्टर के. उन्होंने मुझसे कहा है कि अगर उन्हें एक ट्रैक्टर मिल जाए तो उनको बड़ी मदद हो जाएगी." 

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आनंद महिंद्रा ने किया सपना पूरा

इसके जवाब में आनंद महिंद्रा ने लिखा- "उनको ट्रैक्टर देना मेरा सौभाग्य होगा. जैसा कि मैंने ट्वीट किया था कि मुझे लगता है कि उनकी नहर ताज या पिरामिडों से कम प्रभावशाली नहीं है. हमारे लिए यह सम्मान की बात होगी कि वह हमारा ट्रैक्टर इस्तेमाल करें. हमारी टीम उन तक कैसे पहुंच सकती है." 

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पानी की कमी ने पैदा की ललक

बांकेबाजार प्रखण्ड के लुटुआ पंचायत के कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुइयां ने 30 सालों में अकेले पहाड़ से जमीन तक 5 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर कर मिसाल कायम की है. दरसअल, उनके इलाके में पानी की बहुत कमी है. पानी की कमी के चलते इलाके के लोग केवल मक्का और चना की खेती किया करते थे. गांव के सारे नौजवान अच्छी नौकरी की तलाश में गांव से पलायन कर चुके हैं.  

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पहले तैयार किया नक्शा

लौंगी भुइयां बताते हैं कि वह रोजाना बकरी चराने के लिए जंगल जाया करते थे. उन्हें यह ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए तो लोगों का पलायन रुक जाएगा और लोग खेतों में सभी तरह के फसल उगाने लगेंगे. उन्होंने पूरा जंगल घूमा और बंगेठा पहाड़ जिस पर बारिश का पानी रुक जाया करता था, उसे अपने गांव तक लाने के लिए एक नक्शा तैयार किया.  

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30 साल तक की कड़ी मेहनत

नक्शे के अनुसार दिन में उन्हें जब भी समय मिलता वह नहर बनाने लगते. आखिरकार 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 5 फीट चौड़ी, 3 फीट गहरी 5 किलोमीटर लंबी नहर तैयार कर डाली. इस नहर के सहारे बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर किया जाता है, जहां से लोग पानी का सिंचाई के लिए उपयोग करते हैं.

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पहले लोगों ने नकारा

लौंगी भुइयां ने बताया कि पत्नी, बहु और बेटा, सभी लोग मना करते थे कि बिना मजदूरी वाला काम क्यों कर रहे हैं. गांव के कुछ लोग उन्हें पागल समझने लगे थे. लेकिन आज जब नहर का काम पूरा हुआ और उसमें पानी आया तो सभी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं.