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किसान से कारोबारी बनना है आसान, जानें खेती में ज्यादा कमाई वाले 7 काम

पिछले महीने केंद्र सरकार ने खेती-किसानी के आधार कहे जाने वाले पशुपालन सेक्टर के लिए 15,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था. सरकार का मानना है कि पशुपालन के आधार पर ही किसानों की आमदनी में इजाफा हो सकता है. (Photo- Zeebiz)
Updated on: August 05, 2020, 07.01 PM IST
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पशुपालन

भारत में लगभग 20.5 मिलियन लोगों का जीवन पशुधन पर निर्भर हैं. पशुपालन खेती से पैसा कमाना सबसे शानदार कामों में से एक है. यहां हम पशुपालन से जुड़े ऐसे 7 कामों के बारे में बता रहे हैं जिनमें से किसी एक काम भी खेती के साथ-साथ करते हुए आप अपनी आदमनी में इजाफा कर सकते हैं. (Photo- Zeebiz)

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डेयरी फार्मिंग

किसी किसान के लिए दुधारू पशु पालकर डेयरी का काम शुरू करना बहुत आसान है. इससे खेती के लिए खाद मिलता है.  डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार हर स्तर पर मदद मुहैया कराती है. नाबार्ड तो इस काम के लिए लोन पर सब्सिडी भी मुहैया कराता है. दूध और दूध से बने सामान की मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए डेयरी फार्मिंग हर हाल में कमाई वाला कारोबार है.  (Photo- Reuters)

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बकरी पालन

पशु पालन का ही एक हिस्सा है बकरी पालन. बकरी पालन दूध और मांस, दोनों की आपूर्ति करता है. बकरी पालन के काम को बहुत छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है.  बकरी पालन को कम जगह, कम पूंजी और कम देखभाल की जरूरत होती है. शहरों में बकरी के दूध की मांग काफी रहती है और इसका दूध बहुत महंगा बिकता है. (Photo- Reuters)

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मोती की खेती

भारत में की जगहों पर मोती (पर्ल) की खेती की जाने लगी है. इस काम को कम जमीन पर शुरू किया जा सकता है. भुवनेश्वर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर में तो मोती की खेती की ट्रेनिंग दी जाती है. (Photo- Reuters)

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मोती की खेती से कमाई

10x10 फीट के तालाब में मोतियों की खेती की जा सकती है. सीप के अंदर ऑपरेशन के जरिए कोई आकार डालकर मोती तैयार किया जाता है. मोती की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है. एक सीप  8 से 12 रुपये की आती है. बाजार में 1 मिमी से 20 मिमी सीप के मोती का दाम करीब 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है. आजकल डिजायनर मोतियों को खासा पसन्द किया जा रहा है जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. (Photo- Reuters)

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बटेर पालन

बटेर पक्षी के मांस और अंडे की बाजार में काफी मांग रहती है. मुर्गी पालन से कम लागत और कम समय में बटेर पक्षी तैयार हो जाता है. बटेर एक साल में तीन से चार पीढ़ियों को जन्म दे सकने की क्षमता रखती है. मादा बटेर 45 दिन की आयु से ही अण्डे देना शुरू कर देती है. एक मुर्गी के लिए स्थान में 8 से 10 बटेर रखे जा सकते हैं. (Photo- Reuters)

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पोल्ट्री फार्मिंग

मुर्गी के मांस और अंडे की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मर्गी पालन के काम को छोटे पैमाने पर या बड़े पैमाने पर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. छोटे किसान घर के पिछवाड़े भी मुर्गी पालन कर सकते हैं. मुर्गी पालन के लिए सरकार अनुदान देती है. (Photo- Reuters)

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भेड़ पालन

बकरी की तरह ही मांस और दूध के लिए भेड़ पालन किया जाता है. भेड़ पालन का सबसे बड़ा फायदा ऊन का है. ऊन, मांस और दूध, सभी कामों के लिए भेड़ की अलग-अलग नस्लें होती हैं. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कम जगह और कम लागत में भेड़ पालन का काम शुरू किया जा सकता है. (Photo- Reuters)

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मछली पालन

खेती के साथ मछली पालन के काम को भी आसानी से किया जा सकता है. बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में धान के खेत में मछली पालन किया जाता है. एक एकड़ तालाब में मछली पालन से सालाना 6-8 लाख रुपये की कमाई की जा सकती है. तालाब में मछली के साथ बतख पालन का काम भी किया जा सकता है. (Photo- Reuters)