10 जुलाई से होने वाले ओपन बुक एग्जाम (Open Book Exam) को दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) ने एक बार फिर अगले महीने के टाल दिया है. यूनिवर्सिटी ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) को इस फैसले से अवगत कराया है. कोर्ट ने ओपन बुक एग्जाम को लेकर नाराजगी जताई थी.

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हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को फाइनल ईयर के एग्जाम की डेट शीट और अन्य विवरण के साथ एक शपथपत्र (affidavit) जमा करने के आदेश दिए हैं.

डीयू ने कोर्ट में कहा था कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए एग्जाम 15 अगस्त के बाद आयोजित किए जाएंगे.

 

हाईकोर्ट ने मामले को उस पीठ के पास भेज दिया जिसने 29 जून को विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करके पूछा था कि परीक्षा स्थगित करने के बारे में सूचना नहीं देकर अदालत को गुमराह को लेकर उसके और उसके अधिकारियों के खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. 

बात दें कि पहले डीयू ने एक जुलाई से शुरू होने वाले ऑनलाइन एग्जाम को 10 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया था.

अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मामले की सुनवाई की. अदालत ने यूनिवर्सिटी के फैसले पर नाराजगी जतायी और कहा, 'देखिये आप बच्चों के जीवन से कैसे खेल रहे हैं.'

कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के वकील से कहा, ‘आप ऑनलाइन परीक्षा कराने के संबंध में अपनी तैयारियों को लेकर ईमानदार नहीं थे. आप कह रहे हैं कि आप तैयार हैं लेकिन आपकी बैठक का विवरण स्थिति इसके उलट दिखाता है.’

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने पहले ऐसा ही किया था जब उसने परीक्षा एक जुलाई से 10 जुलाई के लिए स्थगित कर दी थी और खंडपीठ ने उसे अवमानना का नोटिस जारी किया था.

कोर्ट ने कहा, ‘आप परीक्षाओं को अनावश्यक रूप से टाल रहे है. आप ऐसा अपनी मुश्किलों के चलते कर रहे हैं, जो आपको तकनीकी दिक्कतों की वजह से आ रही हैं.’’अदालत ने कहा कि यह साफ है कि डीयू ऑनलाइन परीक्षा के लिए तैयार नहीं है.

डीयू के लिए पेश हुए वकील सचिन दत्त और मोहिंदर रूपल ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने परीक्षा 10 जुलाई से टालने का निर्णय किया है. हालांकि, इस निर्णय के लिए कोई कारण नहीं दिया गया.

हाईकोर्ट डीयू के अंतिम वर्ष के कई छात्रों की ओर से दायर एक अर्जी पर सुनवाई कर रहा था जिसमें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की ऑनलाइन परीक्षाओं को लेकर 14 मई, 30 मई और 27 जून के नोटिफिकेशन को रद्द करने और वापस लेने का अनुरोध किया गया था. इन परीक्षाओं में स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग और नॉन-कॉलेजिएट वूमेन एजुकेशन बोर्ड की परीक्षाएं शामिल थीं.

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एक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर इसमें डीयू को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया कि वह फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स का मूल्यांकन पहले साल या सेमेस्टर के रिजल्ट के आधार पर करे, वैसे ही जैसे विश्वविद्यालय ने फर्स्ट ईयर या सेकेंड ईयर छात्रों को प्रमोट करने की योजना बनायी है.