Onion prices: इस साल फेस्टिव सीजन (Festive season) में आपको प्‍याज की महंगाई परेशान कर सकती है. प्याज की कीमतें अक्टूबर-नवंबर के दौरान ऊंची बने रहने की आशंका है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि अनिश्चित मानसून के चलते नई फसल के आने में देरी हो सकती है. क्रिसिल रिसर्च (Crisil Research) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने  आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ फसल की आवक में देरी और चक्रवात तौकते (Cyclone Tauktae) के कारण बफर स्टॉक की सेल्‍फ लाइफ कम होने से कीमतों में इजाफा होने की संभावना है.

बारिश की कमी से बढ़ेगा प्‍याज की महंगाई?

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रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘साल 2018 के मुकाबले में इस साल भी प्याज की कीमतों में 100 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी की संभावना है. महाराष्ट्र में फसल की रोपाई में आने वाली मुश्किलों के चलते खरीफ 2021 के लिए कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम को पार करने की उम्मीद है. हालांकि, यह खरीफ 2020 के हाई बेस के चलत सालाना आधार पर (1-5 फीसदी) से थोड़ा कम रहेगा.’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि बारिश की कमी के कारण फसल की आवक में देरी के बाद अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज की कीमतों के ज्‍यादा रहने की संभावना है, क्योंकि रोपाई के लिए सबसे अहम महीना, अगस्त में मानसून की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. क्रिसिल रिसर्च को उम्मीद है कि खरीफ 2021 का प्रोडक्‍शन सालाना आधार पर 3 फीसदी बढ़ेगा. भले ही महाराष्ट्र से प्याज की फसल देर से आने की उम्मीद है, लेकिन बुवाई रकबा बढ़ने, बेहतर पैदावार, बफर स्टॉक और एक्‍सपोर्ट पर पाबंदी से कीमतों में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है.

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2-3 हफ्ते की देरी से नई फसल की आवक 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल इसी त्योहारी सीजन में, प्याज की कीमतें 2018 के सामान्य वर्ष की तुलना में दोगुनी हो गई थीं. उस समय भारी बारिश के चलते आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ की फसल को भारी नुकसान हुआ था. मानसून की अनिश्चितता से अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत तक बाजार में खरीफ प्याज की आवक में 2-3 सप्ताह की देरी होने की उम्मीद है, इसलिए कीमतों में तब तक बढ़ोतरी की संभावना है. 

सरकार ने महंगाई रोकने के लिए उठाए ये कदम 

सरकार ने प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं. इसमें वित्तवर्ष 2022 के लिए प्याज के लिए निर्धारित दो लाख टन का बफर स्टॉक शामिल है. प्याज के लिए प्‍लान्‍ड बफर स्टॉक का करीब 90 फीसदी खरीद लिया गया है, जिसमें सबसे अधिक कंट्रीब्‍यूशन महाराष्ट्र (0.15 मिलियन टन) से आया है. इसके अलावा सरकार ने पारंपरिक रूप से गैर-प्याज उगाने वाले राज्यों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में खरीफ प्याज का रकबा 41,081 हेक्टेयर से बढ़ाकर 51,000 हेक्टेयर करने की सलाह दी है.