विदेशी बोर्डों के छात्रों को अब CBSE बोर्ड के स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए पहले से अप्रूवल की आवश्यकता नहीं होगी. CBSE बोर्ड ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी. 

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के एक अधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से काफी सारे परिवार विभिन्न कारणों से विदेश से भारत वापस आ रहे है. इसके बाद से सीबीएसई के स्कूलों में अप्लाई करने वालों छात्रों की संख्या में वृद्धि होने के बाद आया है, जिसे देखते हुए बोर्ड ने यह फैसला लिया है.

कोरोना के बाद भारत में शिफ्ट हो रहे परिवार

CBSE कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन संयम भारद्वाज ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद की अवधि में कई परिवार विभिन्न कारणों से भारत में शिफ्ट हो रहे हैं. इसलिए विदेशों में अपनी पढ़ाई कर रहे कई छात्र CBSE से मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं.

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विभिन्न बोर्ड के छात्र CBSE में एडमिशन के लिए कर रहे अप्लाई

भारद्वाज ने कहा कि चूंकि अन्य बोर्ड के छात्रों को अलग-अलग बोर्डों की कक्षाओं में समानता के आधार पर प्रवेश दिया जाता है. हर बार विदेशी बोर्ड से सीबीएसई में शिफ्ट होने वाले छात्र स्कूलों के माध्यम से CBSE को अप्लाई कर रहे हैं, ताकि उन्हें कक्षा 9 और 11 में प्रवेश की मंजूरी मिल सके.

CBSE ने दी राहत

भारद्वाज ने बताया कि इन छात्रों और उनके परिवारों की वर्तमान परिस्थितियों और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, CBSE ने फैसला किया है कि अब से, CBSE से संबद्ध स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए विदेशी बोर्ड के छात्रों द्वारा इस तरह की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है.

CBSE की समान कक्षाओं वाले विदेशी बोर्डों की कक्षा 10 और 12 की समकक्षता की सूची हमारी वेबसाइट पर डाली गई है. इसके बाद, सीबीएसई से कोई अनुमोदन प्राप्त किए बिना स्कूलों द्वारा छात्रों को प्रवेश प्रदान किया जा सकता है.