Cooking Gas: देश मे हम प्रदूषण की कई बार बात करते हैं, चिंता जाहिर करते हैं, लेकिन यह प्रदूषण बाहरी प्रदूषण होता है जो आसमान में मौजूद प्रदूषित कणों से होता है और इसका लेवल AQI के पैमाने पर मापा जाता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आपके घर मे बने किचन में खाना बनाने वाले गैस चूल्हे से कितना प्रदूषण निकल रहा है. प्रदूषण भी ऐसा जिसमे Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन जैसी जहरीली और कैंसर को दावत देने वाली गैस निकल रही है. एक नई स्टडी में इस बात का दावा किया गया है कि चूल्हे से निकलने वाली गैस से आपको कैंसर हो सकता है.

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हर आम व्यक्ति जीने और खुद को तंदुरुस्त रखने के लिए खाना जरूर खाता है. घर का खाना पोषक भी होता है और स्वादिष्ट भी. लेकिन अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा की गई स्टडी में सामने आया है कि आप किचन में जिस गैस चूल्हे का इस्तेमाल करते है उससे Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन जैसी जहरीली और कैंसर को दावत देने वाली carcenogenic गैस निकल रही है.

इंटरनेशनल रिपोर्ट में दावा

अंतरराष्ट्रीय जर्नल Environmental Science And Technology में 28 जून को छपी रिसर्च में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने अमेरिका के बॉस्टन प्रान्त के 69 घरों से खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली 239 नेचुरल गैस के नमूने लिए. इन नमूनों की जांच करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने नैचुरल गैस (Natural gas) में 21 जहरीली गैस पाई थी जिसमे Benzene, टोल्यूनि, एथिलबेनजीन, जाइलीन और हेक्सेन प्रमुख थी. यानी आपकी रोटी जिस चूल्हे की गैस पर बन रही है उसमें जहर की मिलावट है.

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डॉक्टरों की क्या है राय

दिल्ली स्थित उजाला-सिग्नस अस्पताल के निदेशक डॉ सुचिन बजाज के मुताबिक सिर्फ एलपीजी गैस ही नहीं, अगर हम पेट्रोल, डीजल या लकड़ी कुछ भी जलाते हैं तो उससे कोई ना कोई गैस केमिकल रिएक्शन की वजह से निकलती है. इसी कड़ी में एलपीजी गैस के जलने से बेंजीन गैस निकलती है जो कि एक carcenogen है जिससे कैंसर होने की संभावना है.  

हालांकि डॉ बजाज के मुताबिक जहां विदेशो में किचन में नेचुरल गैस का प्रयोग होता है लेकिन भारत मे LPG का जिसमे प्रोपेन नाम की गैस का प्रयोग होता है. इस गैस के जलने से खतरनाक बेंजीन गैस निलती तो है लेकिन उसकी मात्रा विदेशो में नेचुरल गैस से निकलने वाली बेंजीन के मुकाबले काफी कम रहती है.

हो सकती हैं ये बीमारियां

पारस अस्पताल के स्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ अरुणेश कुमार के मुताबिक carcenogenic गैस अगर नाक या मुंह के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करती है तो वो फेफड़ो पर बुरा प्रभाव डालती हैं और इससे कैंसर के अलावा भी अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस फूलने की बीमारी हो सकती है.

क्या है उपाय

आंतरिक रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश गेरा की माने तो किचन में खाना बनाते समय सबसे ज्यादा जरूरी है की किचन में वेंटिलेशन की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, खाना बनाते समय खिड़की दरवाजे खुली रखें जिससे किचन में धुंआ भरने की जगह बाहर निकल पाए और हो सके तो चिमनी या फिर एग्जॉस्ट फैन का किचन में प्रयोग करें ताकि किचन में होने वाला सारा प्रदूषण जल्दी से बाहर जा सके.