देश में महिलाएं आज आसमान छू रही हैं, नागरिक उड्डयन (Civil Aviation) में 15 प्रतिशत महिला पायलट हैं, जो वैश्विक स्तर पर औसत पांच प्रतिशत से काफी अधिक है. इसके अलावा, 2014-15 के बाद से महिलाओं द्वारा पेटेंट दाखिल करने में भी 500 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और 55 हजार से अधिक स्टार्टअप में 67 हजार से अधिक महिला निदेशक हैं. जमीनी स्तर पर बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया स्टैंड-अप इंडिया योजना से महिला उद्यमियों को लाभ हुआ है. इसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए 10 प्रतिशत धनराशि आरक्षित है. इस आधार पर भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा संयुक्त राष्ट्र में कहा, 2047 तक विकसित भारत का नेतृत्व  महिलाएं करेंगी.

सभी क्षेत्रों में महिलाओं की समान भागीदारी की आवश्यकता

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संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने महिलाओं के नेतृत्व वाली विकास पहलों पर जोर देते हुए कहा कि देश का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का है, जिसके लिए सभी क्षेत्रों में उनकी पूर्ण और समान भागीदारी की आवश्यकता है. महिलाओं की स्थिति पर 68वें वार्षिक आयोग के मौके पर भारत द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि "हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहां महिलाएं खुद से सशक्त हों.

योगदानकर्ता के रूप में होगी महिलाओं की पहचान

राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, 2047 तक पूर्ण विकसित भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए कहा, "भारत सरकार महिलाओं की सार्थक भागीदारी के माध्यम से अपार शक्ति को पहचानती है, जो महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ रही है. हमें यह सुनिश्चित करने की उम्मीद है कि महिलाएं विकास लाभों के निष्क्रिय प्राप्तकर्ताओं की बजाय योगदानकर्ताओं के रूप में विकसित राष्ट्र का नेतृत्व करेंगी.

वैश्विक स्तर पर 10.3 प्रतिशत महिलाएं अत्यधिक गरीब

राजदूत  ने कहा- वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर 10.3 प्रतिशत महिलाएं अत्यधिक गरीबी में रह रही हैं. भारत ने संयुक्त राष्ट्र को महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता को संबोधित करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए देश में लागू की जा रही एक बहुआयामी रणनीति के बारे में बताया. कंबोज ने कहा, "इन पहलों का उद्देश्य लैंगिक न्याय, समानता और भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना है. एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, 759 वन-स्टॉप सेंटरों का एक मजबूत नेटवर्क एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान करता है, जिससे 8.3 लाख से अधिक महिलाओं को लाभ मिल रहा है.

वन स्टॉप सेंटर योजना से महिलाओं को मिल रही मदद

राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा वन स्टॉप सेंटर योजना निजी और सार्वजनिक स्थानों, परिवार, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं की सहायता करती है.  'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के मूल कारणों को लक्षित करता है. इसके परिणामस्वरूप जन्म के समय लिंगानुपात में प्रति एक हजार पुरुषों पर 918 महिलाओं से सुधरकर 933 महिलाओं तक पहुंच गया है. इसके अलावा, 43 प्रतिशत के साथ, भारत विश्व स्तर पर साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड मैथ में एडमिशन लेने में सबसे ज्यादा महिलाएं हैं.

एविएशन के क्षेत्र में 15 प्रतिशत महिला पायलट

राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा- देश में महिलाएं आज आसमान छू रही हैं, नागरिक उड्डयन में 15 प्रतिशत महिला पायलट हैं, जो वैश्विक औसत पांच प्रतिशत से काफी अधिक है. इसके अलावा, 2014-15 के बाद से महिलाओं द्वारा पेटेंट दाखिल करने में भी 500 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और 55 हजार से अधिक स्टार्टअप में 67 हजार से अधिक महिला निदेशक हैं. जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया स्टैंड-अप इंडिया योजना से महिला उद्यमियों को लाभ हुआ है. इसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए 10 प्रतिशत धनराशि आरक्षित है.

22 मार्च तक चलेगी संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक सभा

कम्बोज ने कहा, "तो कम से कम, महिलाएं पीछे नहीं हैं.संख्या हर दिन बढ़ रही है. लेकिन हम यहीं नहीं रुकेंगे. विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें अभी लंबा सफर तय करना है. हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहां महिलाएं आत्मनिर्भर हो -सशक्त और किसी पर निर्भर नहीं. भारत की यह टिप्पणी तब आई है जब लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी वार्षिक सभा 11-22 मार्च तक चल रही है. महिलाओं की स्थिति पर 68वें वार्षिक आयोग का विषय है.  यूएन वीमेन द्वारा साझा किए गए 48 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख वैश्विक लक्ष्यों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण हासिल करने के लिए प्रति वर्ष अतिरिक्त 360 अरब डॉलर की आवश्यकता है, जिसमें गरीबी और भूख को समाप्त करना शामिल है.