Monsoon 2021 withdrawal: भारत में इस साल मॉनसून सीजन के दौरान 'सामान्‍य' बारिश हुई है. यह लगातार तीसरा साल है, जब मॉनसून की बारिश सामान्‍य या सामान्‍य से ज्‍यादा हुई है. भारत मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि चार महीने (जून-सितंबर) तक चलने वाला दक्षिण पश्चिम मॉनसून (South west monsoon) सीजन में सामान्‍य बारिश हुई है. अब मॉनसून की वापसी शुरू हो सकती है. आमतौर पर उत्‍तर पश्चिचम भारत से मॉनसून की वापसी 17 सितंबर से शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार इसमें देरी हुई है. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिहाज से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून काफी अहम है, क्‍योंकि देश के ज्‍यादातर राज्‍यों की कृषि गतिविधियां मॉनसून की सफलता पर ही निर्भर करती हैं.  

6 अक्‍टूबर से शुरू होगी मॉनसून की वापसी

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IMD के महानिदेशक मृत्‍युंजय महापात्रा का कहना है कि कि उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से 6 अक्टूबर के आसपास दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लौटने की शुरुआत होने के लिए बहुत अनुकूल मौसमी दशाएं होने की संभावना है. IMD के मुताबिक, 1960 के बाद यह दूसरा मौका है जब मॉनसून इतनी देर से लौट रहा है. 2019 में उत्तर पश्चिम भारत से मॉनसून ने 9 अक्टूबर से लौटना शुरू कर दिया था. 2019 में मॉनसून की वापसी 39 दिन की देरी से शुरू हुई थी. जोकि मॉनसून वापसी की एक रिकॉर्ड देरी रही. आईडीएम ने कहा है कि नॉर्थईस्‍ट मॉनसून भी सामान्‍य रह सकता है. नॉर्थ ईस्‍ट मॉनसून से दक्षिणी राज्‍यों में बारिश होती है और यह अक्‍टूबर से दिसंबर तक सक्रिय रहता है. 

मॉनसून वापसी का बदल रहा पैटर्न?

IMD की ओर से मई 2020 में जारी एक रिपोर्ट के मताबिक, 1971-2019 के बीच मॉनसून वापसी का विभाग की ओर से तय तारीखों पर हुई. हालांकि, 1901-40 के दौरान मॉनसून वापसी की तारीखों से इसमें अंतर आया है. जैसेकि, राजधानी दिल्‍ली में मॉनसून वापसी का साल 1901-40 के दौरान पैटर्न 21 सितंबर रहा. जबकि 1971-2019 के बीच यह मॉनसून वापसी का यह पैटर्न 25 सितंबर देखा गया. 2019 में मॉनसून वापसी में 39 दिनों की देरी हुई. स्‍टडी में आईएमडी ने कहा कि मॉनसून की वापसी की शुरुआत सामान्‍य तारीख से 2 हफ्ते की देरी से होने लगी है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के वापसी की सामान्‍य तारीख 1 सितंबर की जगह 17 सितंबर से होने लगी है. 

हालांकि, आईएमडी का कहना है कि मॉनसून की वापसी तेजी से होती है. देरी से रिटर्न होने के बावजूद मानसून 15 अक्टूबर के आसपास समय पर अपनी वापसी पूरी कर लेता है. इसका मतलब है कि मानसून भारत में लगभग समान अवधि के लिए रहता है, लेकिन इसने अपने आंतरिक कैलेंडर को रीसेट कर दिया है. इस स्‍टडी में  मॉनसून की दस्‍तक और वापसी की मौजूदा तारीखों में बदलाव का सुझाव दिया गया. इसमें कहा गया कि मौजूदा अनुमान 1901-40 के अवधि पर आधारित है, जिसे 1961-2019 के अवधि के आधार पर मॉनसून की दस्‍तक और 1971-2019 के अवधि के आधार पर मॉनसून की वापसी की तारीखों से बदलना चाहिए. 

2021: कैसा रहा मॉनसून 

मौसम विभाग के मुताबिक, मात्रात्मक रूप से, 2021 में एक जून से 30 सितंबर तक मॉनसून की मौसमी वर्षा 1961-2010 के लॉन्‍ग टर्म एवरेज ( अपनी LPA का 99 फीसदी) औसतन 88 सेंटीमीटर की तुलना में 87 सेंटीमीटर हुई है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से देश में होने वाली मौसमी बारिश जून-सितंबर के दौरान कुल मिलाकर सामान्य (लॉन्‍ग टर्म एवरेज का 96-106 फीसदी) रही.'' यह लगातार तीसरा साल है, जब देश में बारिश सामान्य दर्ज की गई. यह 2019 और 2020 में समान्य से अधिक थी. कुल मिलाकर देशभर में बारिश जून में 110 फीसदी, जुलाई में 93 फीसदी और अगस्त में 76 फीसदी हुई. इन महीनों में सबसे ज्यादा बारिश होती है. हालांकि जुलाई और अगस्त में बारिश कम हुई, लेकिन इसकी कमी सितंबर में पूरी हो गई जब एलपीए की 135 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई. 

आईएमडी ने कहा कि नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और लक्षद्वीप में कम बारिश हुई. वहीं पश्चिम राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर अंदरूनी कर्नाटक, पश्चिम बंगाल का गंगा का क्षेत्र, कोंकण और गोवा, मराठवाड़ा और अंडमान और निकोबार में मॉनसून के मौसम में अधिक वर्षा दर्ज की गई. दक्षिण पश्चिम मॉनसून दो दिन की देरी के बाद तीन जून को केरल पहुंचा था. इसने 15 जून तक तेजी से मध्य, पश्चिम, पूर्वी, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत को कवर कर लिया था.

देश की GDP पर सीधा असर 

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए दक्षिणी-पश्चिम मॉनसून काफी  महत्‍वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि देश की GDP अब भी कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर बहुत अधिक निर्भर है. यह उन जलाशयों को भरने के लिए अहम है, जिनका इस्‍तेमाल पीने के पानी की आपूर्ति और सिंचाई के लिए किया जाता है. बेहतर मॉनसून का मतलब है कि देश में रूरल डिमांड में तेजी आएगी. इसका सीधा असर हर कैटेगरी से कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट्स पर पड़ता है.