केंद्र सरकार खेती को आधुनिक और ज्यादा आय योग्य बनाने के लिए टेक कंपनी माइक्रोसाफ्ट की मदद लेगी. इसके लिए कृषि मंत्रालय ने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के साथ एक समझौता किया है. इस करार का मकसद तकनीक के जरिए खेती की लागत कम करना और किसानों का उनकी फसलों का बेहतर दाम दिलाना है. समझौते के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया फसल कटाई के बाद प्रबंधन और वितरण समेत स्मार्ट व व्यवस्थित खेती के लिए किसान इंटरफेस डेवलप करेगी. देश के छह राज्यों (उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान व आंध्रप्रदेश) के 10 जिलों में चुने गए 100 गांवों में इसको लेकर एक पायलेट प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है. 

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डिजिटल एग्रीकल्चर पर जोर 

केंद्रीय कृषि नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में कृषि मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने यहां एक समझौता पर हस्ताक्षर किए. इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना अब साकार हो रही है. उन्होंने कहा, साल 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से मोदी ने खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर बहुत बल दिया है, ताकि इसके जरिए किसानों को सुविधा हो और उनकी आमदनी बढ़ सके. टेक्नोलॉजी के उपयोग से किसानों के लिए खेती मुनाफे का सौदा बनेगी, साथ ही नई पीढ़ी भी कृषि की ओर आकर्षित होगी. 

किसानों को सीधे फायदा

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार की ट्रांसपरेंसी की सोच के अनुरूप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) सहित अन्य योजनाओं की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कराई जा रही है. मनरेगा में भी ऐसा ही हो रहा है. उन्होंने कहा, मनरेगा का सारा डेटा सरकार के पास उपलब्ध है, जिससे आज मजदूरी की राशि सीधे मजदूरों के बैंक खातों में जाती है. आज मनरेगा में लगभग 12 करोड़ लोग जॉब कार्डधारी है, जिनमें से लगभग 7 करोड़ लोग काम प्राप्त करने के लिए आते रहते हैं. 

कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़

उन्होंने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि क्षेत्र ने कोरोना महामारी जैसी खराब हालातों में भी देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दिया है. कृषि का कोई भी नुकसान देश का ही नुकसान होता है, इसलिए प्रधानमंत्री ने अनेक कार्य हाथ में लिए हैं. एक के बाद एक स्कीम लाई जा रही है. जिससे छोटे किसानों के लिए खेती मुनाफे लायक बन सके. 

 

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