Milk and Dairy Product Price May Hike: आने वाले समय में अभी महंगे दूध से राहत मिलती नजर नहीं आएगी और तो और अक्टूबर दूध के दाम बढ़ने का ट्रेंड जारी रह सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि अभी आगे भी लोगों को दूध के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं. बता दें कि हाल ही में अमूल और मदर डेयरी ने अपने दूध के दाम बढ़ाए थे. इसके आगे भी और महंगा दूध लोगों को मिल सकता है. इसके पीछे की वजह है दूध की लगातार बढ़ती घरेलू मांग और उत्पादन में स्थिरता. बता दें कि देश में दूध के उत्पादन में स्थिरता देखने को मिल रही है, यानी कि प्रोडक्शन में पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी नहीं है लेकिन घरेलू मांग लगातार बढ़ रही है. दूध की घरेलू मांग 10 फीसदी तक बढ़ी है, ऐसे में सप्लाई पर इसका असर देखने को मिल सकता है. अगर सप्लाई पर असर पड़ा तो दूध के भाव में और तेजी देखने को मिल सकती है. 

दूध के उत्पादन में स्थिरता क्यों?

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बता दें कि पिछले साल गांठदार त्वचा रोग की वजह से 1.89 लाख मवेशियों की मौत हो गई थी. मौसम, महंगा चारा और अन्य समस्याओं के चलते 2022-23 में दूध उत्पाद स्थिर रहा, जिसकी वजह से दूध के उत्पादन में स्थिरता देखने को मिली है. 

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दक्षिणी राज्यों में दूध के उत्पादन और भंडार की स्थिति का जायजा लेने के बाद जरूरी हुआ तो सरकार डेयरी उत्पादों के आयात के मामले में हस्तक्षेप करेगी और इम्पोर्ट से बस सप्लाई को सुनिश्चित किया जाएगा. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें ज्यादा हैं और ऊंची कीमत पर आयात करने से दाम कम नहीं होंगे. 

दूध की घरेलू मांग 10% तक बढ़ी

ऐसा बताया जा रहा है कि अक्टूबर तक दूध के दाम बढ़ने का ट्रेंड बना रह सकता है. Covid के बाद दूध की मांग में इजाफा हुआ है. ऐसे में ये अनुमान लगाया जा रहा है कि घी, मक्खन, चीज़ और दूध के दाम और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं. 

बीते साल दूध का उत्पादन स्थिर

बता दें कि पिछले साल दुध का उत्पादन स्थिर रहा, जिसके चलते आपूर्ति पर दबाव देखने को मिला. इसके अलावा गर्मियों के आने के साथ उत्पादन प्रभावित होता है, हालांकि हालिया बरसात ने मौसम को ठंडा किया है जिसके कारण ये फेज थोड़ा आगे सरक गया है. सप्लाई की स्थिति नहीं बढ़ती है तो दुग्ध उत्पादों का आयात करने पर सरकार विचार कर सकती है. 2011 में आखिरी बार इन उत्पादों का आयात किया गया था. 

दूध और उत्पादों की कीमतों पर असर

दूध का उत्पादन गर्म मौसम से घटता है और स्किम्ड मिल्क पाउडर का पर्याप्त भंडार है. इससे दूध आपूर्ति में कोई बाधा नहीं होगी, लेकिन डेयरी उत्पादों और विशेष रूप से वसा, मक्खन, घी का स्टॉक पिछले साल से कम रहा है और दूध उत्पादन सालाना 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. 

सरकारी आंकड़ों की माने तो देश में 2021-22 में 22.1 करोड़ टन दूध उत्पादन हुआ जो पिछले साल के 20.8 करोड़ टन से 6.25% अधिक है. पिछले 15 महीनों में देश में दूध की कीमतें 12 से 15% बढ़ गई है. जानकार मानते हैं कि कीमत बढ़ने का सिलसिला अक्टूबर, 2023 से पहले नहीं रुकेगा और दूध की मुद्रास्फीति सितंबर 2022 में 5.55% से बढ़कर फरवरी 2023 में 10.33% हो गई है.