Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मन की बात कार्यक्रम के जरिये देशवासियों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने खासकर छात्रों को प्रोत्साहित किया. परीक्षा के समय में छात्रों से कहा है कि Warrior बनना है worrier नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. बता दें, यह मन की बात 2.0 का 21वां एडिशन होगा. साथ ही पीएम मोदी साल 2021 में दूसरा बार मन की बात के जरिये लोगों से जुड़े हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ट्ववीट कर इसकी जानकारी दी है. बता दें, पीएम मोदी ने 15 फरवरी को नागरिकों को संस्कृति, कला और पर्यटन के क्षेत्र में अपनी प्रेरक कहानियों को शेयर करने के लिए आमंत्रित किया था. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पीएम मोदी ने आज अपने संबोधन में कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था. माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है. हमारे शास्त्रों में कहा गया है :- माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति. अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है.

उन्होंने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है. नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं । हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहाँ और ज्यादा मिलता है.

भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो. माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं. इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है. पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है. वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरूरी है, विकास के लिये जरूरी है.

पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए. कुछ दिनों बाद मार्च महीने में ही 22 तारीख को ‘World Water Day’ भी है. U.P. की आराध्या जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को लिखतीं हैं. सुजीत जी ने लिखा है कि प्रकृति ने जल के रूप में हमें एक सामूहिक उपहार दिया है इसलिए इसे बचाने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है. पानी के संकट को हल करने के लिये एक बहुत ही अच्छा message पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को भेजा है.

ये बात सही है जैसे सामूहिक उपहार है, वैसे ही सामूहिक उत्तरदायित्व भी है. सुजीत जी की बात बिलकुल सही है. नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी, ये सब, हर किसी के लिये हैं. यहाँ स्थानीय लोगों ने अपने कुओं को संरक्षित करने के लिये अभियान चलाया हुआ है. ये लोग अपने इलाके में वर्षों से बंद पड़े सार्वजनिक कुओं को फिर से जीवित कर रहे हैं.

पीएम ने कहा, साथियो, एक समय था जब गाँव में कुएं, पोखर, इनकी देखभाल, सब मिलकर करते थे, अब ऐसा ही एक प्रयास, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में हो रहा है. इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा । अब ये झील पानी से भरी रहती है. बबीता जी का गाँव बुंदेलखंड में है. उनके गाँव के पास कभी एक बहुत बड़ी झील थी जो सूख गई थी. उन्होंने गाँव की ही दूसरी महिलाओं को साथ लिया और झील तक पानी ले जाने के लिये एक नहर बना दी.

मध्य प्रदेश के अगरोथा गाँव की बबीता राजपूत जी भी जो कर रही हैं, उससे आप सभी को प्रेरणा मिलेगी. जगदीश जी ने इस संकट का हल वृक्षारोपण से करने की ठानी. उन्होंने पूरे इलाके में गाँव के लोगों के साथ मिलकर हजारों पेड़ लगाए और आज उनके इलाके का सूख चुका वो जलस्त्रोत फिर से भर गया है. जगदीश जी का गाँव और आस-पास का क्षेत्र पानी की जरूरतों के लिये के एक प्राकृतिक स्रोत्र पर निर्भर था। लेकिन कई साल पहले ये स्त्रोत सूख गया। इससे पूरे इलाके में पानी का संकट गहराता चला गया.

साथियो, उत्तराखंड के बागेश्वर में रहने वाले जगदीश कुनियाल जी का काम भी बहुत कुछ सिखाता है. साथियो, पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा. भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है. क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये, वर्षा जल के संचयन के लिये, 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं ? इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान – ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है. इस अभियान का मूल मन्त्र है – ‘Catch the rain, where it falls, when it falls.

हम अभी से जुटेंगे, हम पहले से जो rain water harvesting system है उन्हें दुरुस्त करवा लेंगे, गांवो में, तालाबों में, पोखरों की, सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे, पानी के रास्ते की रुकावटें, दूर, कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे. मेरे प्यारे देशवासियो, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती. ये नाम है संत रविदास जी का. माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है. आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है. उन्होंने कहा था-

एकै माती के सभ भांडे,सभ का एकौ सिरजनहार. 

रविदास व्यापै एकै घट भीतर, सभ कौ एकै घड़ै कुम्हार.

हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है. संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही. उन्होंने इन विकृतियों को समाज के सामने रखा, उसे सुधारने की राह दिखाई और तभी तो मीरा जी ने कहा था –  ‘गुरु मिलिया रैदास, दीन्हीं ज्ञान की गुटकी’.

पीएम ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूँ. संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है. हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, यानी, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है.

हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरूर सीखनी चाहिए. युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए. आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए. मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते, जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है. इसलिए आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए.अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिए. अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरूरत नहीं है.

हम अपने सपनों के लिये किसी दूसरे पर निर्भर रहें ये बिल्कुल ठीक नहीं है. जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे और आज हम देखते है कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है. इसी तरह, संत रविदास जी ने एक और महत्वपूर्ण सन्देश दिया है. ये सन्देश है - ‘अपने पैरों पर खड़ा होना’. आज जब मैं देश के युवाओं में innovative spirit देखता हूँ तो मुझे लगता है कि हमारे युवाओं पर संत रविदास जी को जरूर गर्व होता. 

प्यारे देशवासियो, आज ‘National Science Day’ भी है. आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है. केरल से योगेश्वरन जी ने NamoApp पर लिखा है कि Raman Effect की खोज ने पूरी विज्ञान की दिशा को बदल दिया था. हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही, हमें, भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए. मैं जरूर चाहूँगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक - इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें.

‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में science की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है. इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है. ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था. हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी , जिन्होंने, गेहूं , चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं.

लद्दाख के उरगेन फुत्सौग जी इतनी ऊंचाई पर Organic तरीके से खेती करके करीब 20 फसलें उगा रहे हैं वो भी cyclic तरीके से, यानी वो, एक फसल के waste को, दूसरी फसल में, खाद के तौर पर, इस्तेमाल कर लेते हैं. इसी तरह गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं. लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं.ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है. मुरुगेसन जी के इस innovation से पर्यावरण और गंदगी का भी समाधान होगा, और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी बनेगा.

साथियो, Agriculture waste से wealth create करने के भी कई प्रयोग देशभर में सफलतापूर्वक चल रहे हैं. जैसे, मदुरै के मुरुगेसन जी ने केले के waste से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है. साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को इतने सारे लोगों के बारे में बताने का मेरा मकसद यही है कि हम सभी इनसे प्रेरणा लें. जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा. और मुझे विश्वास है, ये देश का हर नागरिक कर सकता है.

कोलकाता के रंजन जी, अपने पत्र में लिखते हैं कि आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल एक Government policy नहीं है, बल्कि एक National spirit है. वो मानते हैं कि आत्मनिर्भर होने का अर्थ है कि अपनी किस्मत का फैसला खुद करना यानि स्वयं अपने भाग्य का नियंता होना. मैं ये भी कहूँगा कि आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है – अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना.

जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक National spirit बन जाता है. जब दर्जनों देशों तक Made in India कोरोना वैक्सीन को पहुँचते हुए देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है. जब आसमान में हम अपने देश में बने Fighter Plane Tejas को कलाबाजियाँ खाते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, भारत में बनी मिसाइलें, हमारा गौरव बढ़ाते हैं, जब समृद्ध देशों में हम Metro Train के Made in India coaches देखते हैं.

भारत में बने कपड़े, भारत के talented कारीगरों द्वारा बनाया गया Handicraft का समान, भारत के Electronic उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें, इस गौरव को बढ़ाना होगा. जब हम इसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे. साथियो, मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत का ये मंत्र, देश के गाँव-गाँव में पहुँच रहा है.

बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी की Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक की प्रेरणादायक कहानी. “संतोष जी ने यह भी बताया है इससे इस क्षेत्र की सैकड़ों साल पुरानी खूबसूरत कला को भी एक नई ताकत मिली है. कोरोना के समय जब बाकी काम रुके तो इन लोगों ने बड़ी ऊर्जा और उत्साह के साथ चटाई बनाना शुरू किया. जल्द ही, उन्हें न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि दूसरे राज्यों से भी चटाई के order मिलने शुरू हो गए. ऐसी ही यूपी के गढ़मुक्तेश्वर से एक प्रेरणादायक कहानी है. आज ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’, एक भाव बन चुका है, जो आम जनों के दिलों में प्रवाहित हो रहा है.

NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post, जिसमें उन्होंने, काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है. मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी. ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह. Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है. इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है.

इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है. वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं.

आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है. इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है. वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं. जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है.

असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये. आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे. अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है. साथियो, असम में हमारे मंदिर भी, प्रकृति के संरक्षण में, अपनी अलग ही भूमिका निभा रहे हैं, यदि आप, हमारे मंदिरों को देखेंगे, तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है.

हजो स्थित हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में स्थित उग्रतारा Temple के पास इस प्रकार के कई तालाब हैं. इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है. असम में कछुओं की सबसे अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं. मंदिरों के ये तालाब कछुओं के संरक्षण, प्रजनन और उनके बारे में प्रशिक्षण के लिए एक बेहतरीन स्थल बन सकते हैं.

कुछ लोग समझते हैं कि Innovation करने के लिए आपका Scientist होना जरूरी है, कुछ सोचते हैं कि दूसरों को कुछ सिखाने के लिए आपका Teacher होना जरूरी है. इस सोच को चुनौती देने वाले व्यक्ति हमेशा सराहनीय होते हैं. ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर. वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं . दरअसल वे Man on a Mission हैं. वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं.

ओडिशा के सिलू नायक और महगुरु Batallion की कहानी भी खास है. आपको जानकर खुशी होगी कि केवड़िया में 15 से ज्यादा Guide, धारा प्रवाह संस्कृत में लोगों को गाइड करते हैं. दरअसल अभी जो आप सुन रहे थे, वो statue of unity पर एक Guide, संस्कृत में लोगों को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के बारे में बता रही हैं.

भाषा के बारे में बाते करते हुए, मैं एक छोटी सी interesting clip आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ. साथियो, कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है. ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत simple होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं. मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया. 

यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है. बहुत से लोगों ने मुझे तमिल literature की quality और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है. भारत ऐसी अनेक भाषाओँ की स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है. यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए.

अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया. यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं. ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट. इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है.

टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे. Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है. हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है. हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं.

मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए. मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं. अधिकतर युवा साथियों के exams, परीक्षाए होंगी. आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है. पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है. खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले.

Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है. आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे. हम सब मिलकर यह करने वाले है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’. लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें. आप MyGov पर share कर सकते हैं. NarendraModi App पर share कर सकते हैं.

इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है. कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी. अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये.

इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं. इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी. आप इनको ज़रूर try करके देखिए. सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

मेरे प्यारे देशवासियो, मार्च का महीना हमारे financial year का आखिरी महीना भी होता है, इसलिए, आप में से बहुत से लोगों के लिए काफी व्यस्तता भी रहेगी. इन सारे कार्यों के बीच हमें कोरोना से सावधानी कम नहीं करनी है. आप सब स्वस्थ रहेंगे, खुश रहेंगे, कर्त्तव्य पथ पर डटे रहेंगे, तो देश तेजी से आगे बढ़ता रहेगा. आप सभी को त्योहारों की अग्रिम शुभकामनायें, साथ-साथ कोरोना के सम्बन्ध में जो भी नियमों का पालन करना उसमें कोई ढिलाई नहीं आनी चाहिये. बहुत-बहुत धन्यवाद.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देख

 

Zee Business App: पाएं बिजनेस, शेयर बाजार, पर्सनल फाइनेंस, इकोनॉमी और ट्रेडिंग न्यूज, देश-दुनिया की खबरें, देखें लाइव न्यूज़. अभी डाउनलोड करें ज़ी बिजनेस ऐप.