Loan Fraud Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को उनके पति दीपक कोचर सहित गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने ये कार्रवाई ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी के मामले में की है. कुछ साल पहले ही ये मामला चर्चा में आया था. चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर, दोनों पर धोखाधड़ी का आरोप है. हिरासत के लिए दोनों को शनिवार को एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किए जाने की संभावना है. 

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बता दें कि चंदा कोचर को कभी बैंकिंग क्षेत्र की करिश्‍माई महिला माना जाता था.आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को वर्तमान स्थिति में पहुंचाने का श्रेय भी उन्‍हीं को दिया जाता है. फिर कैसे चंदा कोचर कानूनी शिकंजे में फंसती चली गईं और उनका करियर खत्‍म हो गया? आइए आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी खास बातें.

ऐसे बुलंदियों पर पहुंचा करियर

चंदा कोचर ने इंडस्ट्रियल क्रेडिट एवं इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी ICICI को साल 1984 में जॉइन किया था. उस समय ये बैंक नहीं था. चंदा उस समय बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी थीं. लेकिन 1994 में आईसीआईसीआई संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई और यहीं से उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव हुआ. चंदा कोर टीम का हिस्‍सा बनीं और मैनेजमेंट ट्रेनी से सीधे सहायक जनरल मैनेजर बन गईं. इसके बाद उनका करियर बुलंदियों पर पहुंचता चला गया. पहले डिप्टी जनरल मैनेजर, फिर डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और 2009 में बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बना दी गईं.

एक दिन का वेतन करीब 2.18 लाख रुपए

चंदा कोचर भारत में किसी बैंक की सीईओ बनने वाली पहली महिला थीं. बैंक की प्रमुख रहते हुए चंदा कोचर की कमाई ने सबको हैरान कर देने वाली थी. उनका एक दिन का वेतन करीब 2.18 लाख रुपए था. देखा जाए तो उनकी तरक्की की रफ्तार किसी के लिए भी ईर्ष्या की वजह बनने के लिए काफी थी. बैंकिंग क्षेत्र में उनके उत्‍कृष्‍ट योगदान के लिए भारत सरकार चंदा को पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्‍मानित कर चुकी है. उन्‍हें ICICI  बैंक को बुलंदियों पर पहुंचाने वाली महिला के रूप में जाना जाता है. फोर्ब्स पत्रिका भी उन्‍हें दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल कर चुकी है. 

2018 से शुरू हो गया पतन

साल 2018 से चंदा कोचर की जिंदगी में अचानक एक ट्विस्ट तब आया, जब उन पर पति को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. कोचर पर पद का दुरुपयोग करते हुए वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ का लोन देने के मामले में अनियमितता बरतने का आरोप लगा था और इसके बाद ही उनका पतन शुरू हो गया. कई एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू कर दी और पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की. आरोपों के सामने आने के बाद बैंक ने अप्रैल 2009 और मार्च 2018 के बीच उन्हें दिए गए सभी बोनस को वापस लेने का फैसला किया. इसके बाद फरवरी 2019 में चंदा कोचर को टर्मिनेशन लेटर दे दिया.

जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने कोचर परिवार की 78 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की. इसी साल ईडी ने दीपक कोचर से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. चंदा कोचर को इससे पहले ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी मामले में ही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गिरफ्तार किया था. पिछले साल फरवरी में एक स्पेशल PMLA कोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोचर को 5 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने उन्हें बिना कोर्ट की अनुमति के देश से बाहर नहीं जाने को कहा था.

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