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राजधानी दिल्ली के साथ साथ 09 नवंबर सुबह 01 बज कर 57 मिनट पर बिहार और उत्तर प्रदेश में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किये गए. बताया जा रहा है की रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 मापी गई है. भूकंप का केंद्र नेपाल में था. भूकंप धरती के 10 किलोमीटर भीतर से शुरू हुआ था. नेपाल में इस हादसे की वजह से 6 लोगों की मौत भी हो गई. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमे सतर्कता के साथ हिम्मत रखने की ज़रूरत हैं. 

भूकंप क्या होता है?

साधारण शब्दों में भूकंप का मतलब पृथ्वी के कम्पन से होता है. पृथ्वी के अंदर कुछ ऊर्जाएं होती है. उन ऊर्जाओं से तरंगे यानी की वेव्स निकलती है. ये तरंगें पृथ्वी के हर दिशा में फैलती है. और इन तरंगों के फैलने से पृथ्वी में कम्पन होता है. इस कम्पन को ‘सिस्मिक वेव्स’ कहा जाता है. और इसी कम्पन को जब हम महसूस करते हैं, उसे हम भूकंप बोलते है.

धरती में जहां से भूकंप शुरू होता है उस जगह को ‘हाइपोसेंटर’ कहते है. और उसके ठीक ऊपर सतह पर जहां तरंग सबसे पहले पहुँचती है उस जगह को ‘एपीसेंटर’ कहते है.

भूकंप कैसे मापा जाता है ?

भूकंप की तीव्रता को मापने के दो तरीके होते हैं - परिमाण (Magnitude)और तीव्रता (Intensity). सिस्मिक वेव्स की तीव्रता को सिस्मिक ग्राफ्स के ज़रिये नापा जाता है. और इस ग्राफ का नाप रिक्टर स्केल के द्वारा लिया जाता है. वैसे तो रिक्टर स्केल की कोई आखिरी लिमिट नहीं है, पर इसपर भूकंप को 0 से 9 की रेंज में मापा जाता है. जो भूकंप 4.5 की रेंज से ज़्यादा के होते हैं, उन्हें विनाशकारी माना जाता है. और जो 7 से भी ऊपर रेंज के होते है, उनको बेहद विनाशकारी भूकंप घोषित कर देते है.

भूकंप कितने तरीके के होते हैं ?

भूकंप चार प्रकार के होते हैं - 

- टेक्टोनिक भूकंप-जो की धरती के निचे स्थित टेकटोनिक प्लेट्स के हिलने से आता है. 

- वोलकेनिक भूकंप- वॉलकनिक भूकंप ज्वालामुखी के फटने से जो धरती में हलचल मचती है, उसकी वजह से आता है. 

- छोटे खनिज खानों या गुफाओं में विस्फोट की वजह से भी कई भूकंप आ जाते है, ऐसे भूकंप को कोलैप्स भूकंप कहते है. 

- कुछ भूकंप परमाणु और रासायनिक विस्फोटो का भी परिणाम होते है, और ऐसे आने वाले भूकंप को एक्सप्लोशन भूकंप कहते है.

भूकंप ज़्यादा तर कहा आते हैं ?

वैसे तो भूकंप कभी भी और कही भी आ सकता है. पर इतने दिनों से आये भूकंप का इतिहास देख कर लगता है की ये एक सामान्य पैटर्न में आते है. मुख्य रूप से ये पृथ्वी के तीन ज़ोन में आते है. 

- दुनिया की सबसे बड़ी Earthquake Belt - Circum Pacific Seismic Belt , प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है. पृथ्वी पर आए सबसे भयंकर भूकम्पों  में से 81 फीसदी यहीं आते है. इस वजह से इस क्षेत्र को ‘Ring of Fire’ कहा जाता है. 

- Alpide Earthquake Belt (Mid Continental Belt)- यह बेल्ट जावा से सुमात्रा तक फैला हुआ  है, साथ ही हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक का भी कुछ हिस्सा इस बेल्ट में आता है. इस बेल्ट में दुनिया के सबसे बड़े भूकम्पों के 17 फीसदी आते है जो की बहुत विनाशकारी होते है. 

- तीसरी Earthquake Belt मिड-अटलांटिक रिज में है. रिज उस जगह को कहते है जहाँ दो टेकटोनिक प्लेट्स आपस में मिलती है. इस बेल्ट का ज़्यादा तर हिस्सा पानी के अंदर ही है. यहाँ पर लोग कम ही रहते है, जिस वजह से भूकंप के आने का ज़्यादा असर जान- माल पर नहीं पड़ता.

भारत में कहां भूकंप ज्यादा आने की संभावना है ?

हिमालय दुनिया की सबसे नई बनी हुई पर्वत श्रृंखला है. और इसमें अभी भी कई बदलाव होते रहते है. इसी सक्रियता की वजह से भारत भूकंप प्रभावित देशों में से एक है. अतीत में आये भूकम्पों की वजह से BIS (Bureau of Indian Standard)भारत को चार भागो में विभाजित किया गया है- II,III,IV,V. इनमे ज़ोन V में सबसे ज़्यादा भूकंप आते है. और ज़ोन II में सबसे कम. ज़ोन V में पूरा उत्तर पूर्वी भारत, जम्मू और कश्मीर के कुछ भाग, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख के कुछ भाग, गुजरात का रण ऑफ कच्छ, उत्तरी बिहार और अंडमान और निकोबार के द्वीप आते हैं.