Gold Hallmarking: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay Hogh Court) की नागपुर बेंच (Nagpur Bench) ने शुक्रवार को एक जून से अनिवार्य हॉलमार्किंग (HallMarking) के बीआईएस (BIS) के फैसले पर मुहर लगाते हुए देशभर के पांच लाख से ज्यादा ज्वैलर्स को बड़ी राहत दी.

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1 जून के बाद किसी भी उल्लंघन के मामले में, बेंच ने अधिकारियों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अधिनियम की धारा 29 (2) के तहत जौहरी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.

नए नियमों के मुताबिक, ज्वैलर्स को अपने स्टोर में रखने से पहले या 1 जून 2021 से अपने ग्राहकों को इसे बेचने से पहले सोने के गहनों को हॉलमार्क (Hallmark) करना पड़ता था. अगर कोई ज्वैलर सर्टिफिकेशन के बिना आभूषण बेचता पाया जाता है, तो उसे  भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिनियम की धारा 29 (2) के तहत दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

नए नियम के जवाब में, ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (All India Gems and Jewellery Domestic Council) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें हॉलमार्किंग (Hallmarking) को अनिवार्य बनाने की अंतिम तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया गया था.

अगर यह नियम लागू होता है, तो सोने की छह करोड़ से ज्यादा वस्तुओं की बिक्री पर रोक लगाने की संभावना है, क्योंकि इन टुकड़ों की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि नियम सोने की दुकान के मालिकों और ज्वैलर्स को भी आपराधिक मुकदमे के लिए उत्तरदायी बनाएंगे अगर वे बिना हॉलमार्क के सोने की ज्वेलरी को बेचने की कोशिश करते हैं.

मामले की अगली सुनवाई 14 जून को है, जिसका मतलब है कि ज्वैलर्स कम से कम इस तारीख तक बिना हॉलमार्क के सोने का सामान बेच सकते हैं. अगली सुनवाई देश भर के सभी ज्वैलर्स को अंतिम समयसीमा प्रदान कर सकती है.

यह ध्यान रखना जरूरी है कि हॉलमार्किंग केंद्र (Hallmarking Centres) भारत में केवल 34% शहरों और कस्बों में उपलब्ध हैं. याचिका में कहा गया है, "भारत में ज्वैलर्स की इतनी भीड़ के अनुपात में, हॉलमार्किंग केंद्रों का प्रतिशत केवल 34% है और कम से कम 488 जिले हैं, जिनमें कोई हॉलमार्किंग केंद्र नहीं हैं."

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