India@100: शिक्षा, समृद्धि का एकमात्र जरिया है. शिक्षा वो सूत्र है, जिसे देश के आजाद होते ही सरकार ने समझ लिया और इस पर जमकर काम किया. आजादी के वक्त देश की आबादी 36 करोड़ थी, मगर साक्षरता सिर्फ 18 परसेंट. वहीं, महिलाओं के मामले में हालात और खराब थी. देश की आजादी के समय 9 परसेंट से भी कम महिलाएं पढ़ी-लिखी थीं. यानी 11 में से सिर्फ 1 महिला पढ़-लिख सकती थी.

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शिक्षा, बेहतर भविष्य की बुनियाद

  1951 2021
साक्षरता 18.3%   77.7%
महिला साक्षरता  8.9%  70.3%

बढ़ा है शिक्षा का स्तर

आज हालात बदल गए हैं. 2021 के आंकड़ों के मुताबिक साक्षरता 77.7 परसेंट हो गई थी, पुरुषों में ये 84.7 परसेंट तो महिलाओं में साक्षरता 70.3 परसेंट हो गई है. देश में शिक्षा पर कितना काम हुआ है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में कितने स्कूल हैं.

शिक्षा, बेहतर भविष्य की बुनियाद

स्कूलों का संख्या
1948 1,52,814
2020 15,07,708

आजादी के वक्त देश में सिर्फ डेढ़ लाख स्कूल थे, आज देश में स्कूलों की संख्या बढ़कर पंद्रह लाख से ज्यादा हो गई है. इन स्कूलों में करीब 24 करोड़ छात्र पढ़ते हैं. स्कूली शिक्षा में सरकार और निजी क्षेत्र ने भी बहुत निवेश किया है. हालांकि इन दिनों कई कारणों से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य से हिसाब से अपने बच्चों को पब्लिक यानी निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहता है.

हायर एजुकेशन पर भी ध्यान

उच्च शिक्षा हर क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट के रास्ते खोलता है. सरकार जानती थी कि हायर एजुकेशन पर फोकस किए बिना ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में झंडे नहीं गाड़े जा सकते. इस पर भी बहुत काम हुआ है. आजादी के वक्त देश में सिर्फ 20 यूनिवर्सिटीज और 404 कॉलेज थे. आज देश में 1043 यूनिवर्सिटीज और 42303 डिग्री कॉलेज हैं. 1948 में देश में सिर्फ 30 मेडिकल कॉलेज थे आज 541 मेंडिकल कॉलेज हैं.

आजादी के वक्त देश में 36 इंजीनियरिंग कॉलेज थे, जिनमें सालाना सिर्फ 2500 छात्रों के दाखिला मिलता था. आज देश में 2500 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, 1400 पॉली टेक्निकल और 200 प्लानिंग और आर्किटेक्टर कॉलेजेज हैं. यानी करीब 4100 इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं. हालांकि यहां गिनती के हिसाब से निजी कॉलेजों की संख्या ज्यादा है. आज देश में 23 IITs, 20 IIMs और 25 AIIMS हैं.

ये हैं चुनौतियां

हायर एजुकेशन में भी सरकार के क्वांटिटी पर ज्यादा और क्वालिटी पर फोकस कम रखा है. थोक के भाव से यूनिवर्सिटीज खुली हैं, मगर पढ़ाई अच्छी नहीं हो रही है. इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिती और भी बुरी है. निजी संस्थाओं और उद्यमियों ने कॉलेज तो खोल दिए, मगर फैकेल्टी अच्छी नहीं रखी, कई कॉलेजों में अच्छी लैब्स भी नहीं है. सैकड़ों निजी इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे हैं, जहां फीस सम्मानित निजी स्कूलों से कम है. स्कूल शिक्षा में निजी क्षेत्र ने अच्छा काम किया है, मगर हायर एजुकेशन में ये अभी बहुत पीछे हैं.

हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो धीरे-धीरे ग्लोबल व्यवस्था की ओर बढ़ रही है. हमें अपनी अगली पीढ़ियों को सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया में प्रतिस्पर्धी योग्य बनाना है, हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें रोबोट बना दें. मगर ये देखना होगा कि बच्चे दुनिया में कहीं भी काम करने योग्य हों.